चार चरण दो पंक्तियाँ, लगता ललित-ललाम। इसीलिए इस छन्द ने, पाया दोहा नाम।१। लुप्त हो गया काव्य का, नभ में सूरज आज। बिना छन्द रचना करें, ज्यादातर कविराज।२। बिन मर्यादा यश मिले, छन्दों का क्या काम। पद्य बताकर गद्य को, करते हैं बदनाम।३। चार दिनों की ज़िन्दग़ी, काहे का अभिमान। धरा यहीं रह जायेगा, धन के साथ गुमान।४। प्यार जगत में छेड़ता, मन वीणा के तार। कुदरत ने हमको दिया, ये अमोल उपहार।५। प्यार नहीं है वासना, ये तो है अनुबन्ध। प्यार शब्द से जुड़ा है, तन-मन का सम्बन्ध।६। चटके दर्पण की कभी, मिटती नहीं दरार। सिर्फ दिखावे के लिए, ढोंगी करता प्यार।७। ढाई आखर प्यार का, देता है सन्ताप। हार-जीत के खेल में, बढ़ जाता है ताप।९। मुखिया की चलती नहीं, सबके भिन्न विचार। ऐसा घर कैसे चले, जिसमें सब सरदार।१०। |
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शुक्रवार, 30 नवंबर 2012
“चुने हुए फुटकर दोहे” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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ढाई आखर प्यार का, देता है सन्ताप।
जवाब देंहटाएंहार-जीत के खेल में, बढ़ जाता है ताप।९।
वाह ... बेहतरीन
फिर स्थापित होगी छंद बद्ध रचनाएँ |
जवाब देंहटाएंआभार ||
काम बासना के बास भाव भयउ घिन अंग ।
जवाब देंहटाएंभए जहँ प्रेम भाव पास रंगे रति के रंग ।।
लुप्त हो गया काव्य का, नभ में सूरज आज।
जवाब देंहटाएंबिना छन्द रचना करें, ज्यादातर कविराज।,,,,सच कहा आपने,,,
मयंक जी से अनुप्राणित कुंडली
हटाएंहृदय सुप्त मस्तिष्क जगा, लुप्त हो रहे छंद।
पाठक-श्रोता भागते कविता होती मंद।।
कविता होती मंद आज बदली परिभाषा।
धूमिल होती काव्य सृजन की कोई आशा।।
बिना परिश्रम कविता का झंडा लहराए।
जिसके जी में आ जाए वह कवि बन जाए।।
-विनय कुमार पाण्डेय
बढ़िया दोहे.. :)
जवाब देंहटाएं~सादर !!!
.सार्थक प्रस्तुति बधाई -[कौशल] आत्महत्या -परिजनों की हत्या [कानूनी ज्ञान ]मीडिया को सुधरना होगा
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही लिखा गया है "चार दिन की जिन्दगी काहे का अभिमान"
जवाब देंहटाएंऔर सारा जग कहीं ज्यादा तो कहीं कम अभिमानियों से भरा पड़ा है
"ज्ञान का गुरूर कितना"
लुप्त हो गया काव्य का, नभ में सूरज आज।
जवाब देंहटाएंबिना छन्द रचना करें, ज्यादातर कविराज।२।
बिन मर्यादा यश मिले, छन्दों का क्या काम।
पद्य बताकर गद्य को, क्यों करते बदनाम।३।
साहित्य में समय दर समय बदलाव आते रहते हैं ...फिर भी ये पोस्ट आजकल के काव्य पर एक सटीक तंज है.
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/11/3.html
बड़े ही नीतिपरक दोहे..
जवाब देंहटाएंAhaa, its good discussion about this piece of writing at this place at this webpage, I have read
जवाब देंहटाएंall that, so at this time me also commenting at this place.
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