खूब चला
सप्ताहभर, प्रेम-दिवस संयोग।
आज
खत्म हो जायेगा, मधुर-मिलन का रोग।१।
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वैलेण्टाइन-दिवस
पर, निभा रहे सब रीत।
आलिंगन-चुम्बन
नहीं, कहलाती है प्रीत।२।
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क्यों
सूली पर चढ़ गया, वैलेण्टाइन सन्त।
इसका
उत्तर माँगता, खिलता हुआ बसन्त।३।
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पश्चिम की है सभ्यता, प्रेमदिवस का वार।
लेकिन अपने देश में, प्रतिदिन प्रेम अपार।४।
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आडम्बर से युक्त है, प्रेमदिवस का खेल।
आज वासनामय हुआ, सुमनों का ये मेल।५।
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प्रेम दिवस पर लीजिए, व्रत जीवन में धार।
पल-पल,हर
पल कीजिए, सच्चा-सच्चा प्यार।६।
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मन-विचार मिल जाय जब, समझो तभी बसन्त।
पल-प्रतिपल मधुमास है, समझो आदि न अन्त।७।
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सुख सरिता बहती रहे, धार न हो अवरुद्ध।
निशि-दिन प्रेम प्रवाह से, इसको करो समृद्ध।८।
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चहक रहे हैं बाग में, कलियाँ-सुमन अनेक।
धीरज और विवेक से, चुनना केवल एक।९।
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दिल से मत तजना कभी, प्रीत-रीत उदगार।
सारस से लो सीख तुम, क्या होता है प्यार।१०।
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चिकनी-चुपड़ी देखकर,मत टपकाओ लार।
सोच-समझकर ही सदा, देना कुछ उपहार।११।
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पत्नी, पुत्री, बहन का, मात-पिता का प्यार।
उनको ही मिलता सदा, जिनका हृदय उदार।१२।
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नादानी में मत कभी, करना अन्धा प्यार।
भली-भाँति सब सोचकर, ही करना इकरार।१३।
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जीवनभर ना मिट सके, बरसाओ वह रंग।
सिखलाओ संसार को, प्रेम-प्रीत का ढंग।१४।
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प्रेम खिले पर कोई कुप्रभाव न हो उस पर।
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब कहा ....
जवाब देंहटाएंआज खत्म हो जायेगा, मधुर-मिलन का रोग