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वही गर्दिश वही गलताँ वही गर्दो-गुबारे..,
जवाब देंहटाएंवही महताब वही तनाब वही सीम सितारे..,
वही आलमों-अलमस्त वही बादे-बहारें..,
तन्हाई का आलम है दिलों में उल्फत कम है.....
बहुत ही सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् कल रविवार (16-02-2014) को "वही वो हैं वही हम हैं...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1525" पर भी रहेगी...!!!
जवाब देंहटाएं- धन्यवाद
bahut badhiya ji
जवाब देंहटाएंसंबंधों में भाव मृदुल हो।
जवाब देंहटाएंएक सार्थक अभिव्यक्ति.....बहुत बढ़िया.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंवही पत्ते, वही डाली,
जवाब देंहटाएंवही भोजन, वही थाली,
वही वो हैं वही हम हैं!
दिलों में उल्फतें कम हैं!!
सुन्दर !आशय और बदलाव का दर्द !लिए है रचना
वही पत्ते, वही डाली,
वही भोजन, वही थाली,
वही वो हैं वही हम हैं!
दिलों में उल्फतें कम हैं!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंहँसी झूठी, कमर टूटी,
जवाब देंहटाएंलबों पर बेबसी फूटी,
नज़ारों की नज़र नम है!
दिलों में उल्फतें कम हैं!! khas aur sundar prastuti hetu aabhar Mayank ji
कल 17/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
hawa badal gayi hai .... gajab ki rachna ..sadar naman
जवाब देंहटाएंनज़ारों की नज़र नम है!
जवाब देंहटाएंदिलों में उल्फतें कम हैं!!
जय हिन्द !
बहुत सुन्दर .......
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