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sunadar aur sukomal kavita
जवाब देंहटाएंbahut dinon bad aapki rachna banchne ka sanyog hua lekin aapke tevar me vahi taazgi dekh kar aanand mila
badhai !
वह कोई नहीं है और,
जवाब देंहटाएंनीला सागर है घनघोर।
जो स्वागत करता है मेरा,
होकर कितना भावविभोर ...
Anuvaad rachna ki lay aur tarannum banaaye rakhta hai ... bahut hi lajawaab .... Rachna bhi bahut hi lajawaab hai ...
bahut sundar anuvaad kiya hai...
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी बहुत सुन्दर कवितायें हैं जिनका आप अनुवाद कर रहे हैं ……………यही तो नियति है नदी की सागर की ओर जाना और उसी मे खुद को समाहित कर देना।
जवाब देंहटाएंअंग्रेजी की महत्वपूर्ण आधुनिक कवियत्रियों में एमिले डीकिन्सन को शामिल किया जाता है. उनकी कई रचनाएं पढने का अवसर मिला है मुझे.. कुछ अंग्रेजी के विद्यार्थी के रूप में कुछ साहित्य के विद्याथी के रूप में.. माई रिवर एक बेहद संवेदनशील कविता है उनकी.. आपने उसका अनुवाद भी बहुत बढ़िया किया है.
जवाब देंहटाएंbahut pyaari,sukomal si rachna.anuvaad bhi jordaar hamesha ki tarah.
जवाब देंहटाएंमाई रिवर एमिले डीकिन्सन की एक संवेदनशील कविता है, आपने अनुवाद बहुत बढ़िया किया है.
जवाब देंहटाएंकितनी खुबसुरती से आप इन कविताओं को अनुवादीत कर रहे है...आनंद आ गया..बहुत ही सुंदर कविता और साथ ही भावपूर्ण रचना की उत्कृष्टता देखने को मिली....धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंवह कोई नहीं है और,
जवाब देंहटाएंनीला सागर है घनघोर।
जो स्वागत करता है मेरा,
होकर कितना भावविभोर।.........
पढ़कर लगा ही नहीं कि अनुवाद है.
Man ko chhu jane wale bhaav..
जवाब देंहटाएं-------------
क्या ब्लॉगिंग को अभी भी प्रोत्साहन की आवश्यकता है?
नदी और सागर का मिलन सदा ही ऐसे भाव लेकर आता है। बहुत ही सुन्दर कविता, उतना ही सुन्दर अनुवाद।
जवाब देंहटाएंबढ़िया रोचक प्रस्तुति ....सुन्दर रचना ... रचना के भाव बढ़िया लगे... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता अनुवाद के रुप में...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अनुवाद ... अच्छा लगा आपको अनुवादक कवि के रूप में भी जान कर... सादर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता और बहुत सुंदर अनुवाद ....
जवाब देंहटाएंआभार.
Badiyaa...
जवाब देंहटाएंBadiyaa...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमैं थामती हूँ,
जवाब देंहटाएंउसका दामन।
और कहती हूँ-
ले लो मुझे,
अपने आगोश में।
bahut sundar anuvaad..aabhar
dono taraf se aisa sangam ho to fir jindgi swarg ban jaye. bahut acchha anuvad prayas.
जवाब देंहटाएंshukriya ham tak pahuchane ke liye.
बहुत ही खुबसूरत भावानुवाद है सर... एमिली डिकिन्सन की यह कविता सर्वथा नवीन रूप में सम्मुख आई है ... सादर...
जवाब देंहटाएंशानदार भावानुवाद, सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंआपने सचमुच कमाल कर दिखाया। गद्य का अनुवाद ही एक मुश्किल काम होता है और काव्य का काव्य में अनुवाद तो वाक़ई एक जटिल काम है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया हिंदी ब्लॉगिंग को समृद्ध करने के लिए !
http://auratkihaqiqat.blogspot.com/