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बहुत सुन्दर, शास्त्री जी क्रिसमस की शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंअच्छी सार्थक रचना, शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंनारी के प्रति दुनिया को अब बदलना पड़ेगा क्योंकि नारी अब उतनी अबला नहीं रही।
हमारा भी यही फ़र्ज़ है की हम अपनी बेटियों को सशक्त बनायें।
बहुत सुन्दर....सार्थक रचना....
जवाब देंहटाएंआँचल में है दूध
जवाब देंहटाएंऔर आँखों में पानी!
यही तो बिडम्बना है.
बहुत सुन्दर रचना
बहुत भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण सुन्दर सार्थक रचना । लोगों की सोच को बदलना होगा |
जवाब देंहटाएंप्रकाम्या
मैं पुत्री हूँ,
जवाब देंहटाएंमैं पत्नी हूँ,
किसी की जननी हूँ
किसी की भगिनी हूँ।
बहुत सुंदर कविता
बहुत बेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंइतिहास के पन्नों को फिर से उलटती हुई और नारी की महानता व्यक्त करती हुई बहुत बढ़िया गीत..बहुत बहुत बधाई शास्त्री जी सुंदर कविता..
जवाब देंहटाएंBehtareen rachna Sir!
जवाब देंहटाएंbahut badhiya .
जवाब देंहटाएंजी हाँ ...यही नारी है ...बहुत सुन्दर कविता ...आभार ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना। क्रिसमस पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अनुभूति.
जवाब देंहटाएंनारी सामाजिक स्थिति पर सटीक रचना
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