आज प्रस्तुत है मेरी पसन्द का ईश्वर भक्ति का यह गीत! इसको अपने स्वर से सजाया है श्री योगेश दत्त आर्य ने- सारी स्रष्टि दुल्हिन सी सजी है! क्या अनोखी ये कारीगरी है?.... |
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बहुत बहुत मीठा गीत..........
जवाब देंहटाएंआहा आनन्द आ गया
सुनकर मजा आ गया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्यारा गीत!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमध्यकालीन भारत-धार्मिक सहनशीलता का काल (भाग-२), राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
इसमें पोडकास्ट का लिंक कहां है?
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत मीठा गीत..........
जवाब देंहटाएंआहा आनन्द आ गया
आओं देखें आज क्यों और कैसे ?विज्ञान मे क्या हलचल है
आओं देखें आज विज्ञान गतिविधियाँ मे क्या हलचल है
वाह ! कितना सुन्दर गीत और इतना मधुर गायन आपको व श्री योगेश दत्त आर्य साहब को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंशब्द और स्वर दोनों कमाल के हैं.... बहुत ही सुंदर स्तुति है... आपको और योगेशजी दोनों को
जवाब देंहटाएंबधाई....
बहुत अच्छा...और कर्णप्रिय...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएं" sunker maza aagaya sir ..bahut hi meetha geet "
जवाब देंहटाएं----- eksacchai { AAWAZ }
राहुल गाँधी याने .. सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली |
http://eksacchai.blogspot.com/2010/10/blog-post_07.html#links
"क्या अनोखी ये कारीगरी है"----सुनवाने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। नवरात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंयोगेश दत्त जी की आवाज़ मे गाया ये गीत बेहद पसन्द आया…………बहुत ही मिठास है आवाज़ मे और गीत के बोल भी उतने ही बेहतरीन हैं।
जवाब देंहटाएंजैंगो के लिए संवेदना प्रकट करने के लिए... आपका बहुत बहुत धन्यवाद.....
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ...
नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ...
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएं