प्रज्ञा जहाँ है, प्रतिज्ञा वहाँ है।। छाया हुआ रूप का ही नशा है, जवानी में उन्माद ही तो बसा है, दिखावे ने अपना शिकंजा कसा है, प्रतिज्ञादिवस में प्रतिज्ञा कहाँ है? प्रज्ञा जहाँ है, प्रतिज्ञा वहाँ है।। बिना स्नेह के दीप कैसे जलेगा? बिना प्यार के कैसे पादप पलेगा? कभी वासना से न जीवन चलेगा, प्रतिज्ञादिवस में प्रतिज्ञा कहाँ है? प्रज्ञा जहाँ है, प्रतिज्ञा वहाँ है।। दिखावा हटाओ, जियो ज़िन्दगी को, दिलों से मिटाओ, मलिन-गन्दगी को, अगर प्यार है तो, करो बन्दगी को, प्रतिज्ञादिवस में प्रतिज्ञा कहाँ है? प्रज्ञा जहाँ है, प्रतिज्ञा वहाँ है।। |
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शनिवार, 11 फ़रवरी 2012
"प्रतिज्ञादिवस में प्रतिज्ञा कहाँ है?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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प्रज्ञा जहाँ है, प्रतिज्ञा वहाँ है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
दिलों से मिटाओ, मलिन-गन्दगी को,
जवाब देंहटाएंअगर प्यार है तो, करो बन्दगी को,
साधु-साधु'
अतिसुन्दर....
सुंदर अतिसुन्दर....
जवाब देंहटाएंBadhya Sandesh detee rachnaa
जवाब देंहटाएंbahut sunder sandesh detee rchna......
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंगहरा मन्त्र है, प्रज्ञा जहाँ है, प्रतिज्ञा वहाँ है।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर...्शास्त्री जी..आभार..
जवाब देंहटाएंसुंदर लय...सुंदर संदेश!
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिभा को नमन...
जवाब देंहटाएंदिखावा हटाओ, जियो ज़िन्दगी को,
जवाब देंहटाएंदिलों से मिटाओ, मलिन-गन्दगी को,
अगर प्यार है तो, करो बन्दगी को,
प्रतिज्ञादिवस में प्रतिज्ञा कहाँ है?
प्रज्ञा जहाँ है, प्रतिज्ञा वहाँ है।…………………सही कहा ………सुन्दर प्रस्तुति।
दिखावा हटाओ, जियो ज़िन्दगी को,
जवाब देंहटाएंदिलों से मिटाओ, मलिन-गन्दगी को,
अगर प्यार है तो, करो बन्दगी को,
बहुत सुन्दर भाव,,
सादर.
छाया हुआ रूप का ही नशा है,
जवाब देंहटाएंजवानी में उन्माद ही तो बसा है,
दिखावे ने अपना शिकंजा कसा है,
दिखावा हटाओ, जियो ज़िन्दगी को,
दिलों से मिटाओ, मलिन-गन्दगी को,
अगर प्यार है तो, करो बन्दगी को,
बहुत सार्थक चित्र प्रधान पंक्तियाँ 'वर्तमान 'चलन का खाका खींचती .
प्रतिज्ञा केवल उसी दिवस के लिए.... ३६४ दिवस आज़ादी के :)
जवाब देंहटाएंसही चिंतन, मन का मंथन, सार्थक विचार।
जवाब देंहटाएंआज 12/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सार्थक चिंतन ...अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदिखावा हटाओ, जियो ज़िन्दगी को,
जवाब देंहटाएंदिलों से मिटाओ, मलिन-गन्दगी को,
बहुत सुन्दर सर...
सादर.
बहुत ही बढि़या।
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