![]() भावनाओं का ज्वार बढ़ जाता है तब बुद्धि मन्द हो जाती है लाचारगी और बेचारगी का साया मन पर अधिकार कर लेता है निश्चय और अनिश्चय में झूलने लगता है मन प्राण और देह आते रहते हैं नकारात्मक भाव लेकिन कुछ समय बाद ज्वार निकल जाता है सोच बदलने लगती है तो बुद्धि भी काम करने लगती है ![]() हो जाता है समस्याओं का हल खिल जाता है मन का कमल मिल जाता है आशातीत परिणाम विषम परिस्थियों में धैर्य और विवेक रखना होगा अपने संग तो खुद-ब-खुद आ जाएगा जीने का ढंग!! |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012
"आ जाएगा जीने का ढंग!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
-
सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
महा-मनीषी भर रहे, जब जीवन में रंग ।
जवाब देंहटाएंसीखे निश्चय ही मनुज, तब जीने के ढंग ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
धैर्य और विवेक
जवाब देंहटाएंरखना होगा अपने संग
तो खुद-ब-खुद
आ जाएगा जीने का ढंग!!
bahut sunder abhivyakti ....
बहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना ...
जवाब देंहटाएंMY NEW POST...आज के नेता...
aaj ye alag hi lekhni lag rahi hai aapki bahut umda bhaav bahut sundar.atukant kavita me bhi jaan dal di aapne.
जवाब देंहटाएंधैर्य और विवेक
जवाब देंहटाएंरखना होगा अपने संग
तो खुद-ब-खुद
आ जाएगा जीने का ढंग!………………बिल्कुल सही और सटीक बात कही है।
बहुत सही है धीरज रखने से हि जिंदगी आसान होती है
जवाब देंहटाएंधैर्य और विवेक
जवाब देंहटाएंरखना होगा अपने संग
तो खुद-ब-खुद
आ जाएगा जीने का ढंग!!
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
बहुत सुन्दर सर...
जवाब देंहटाएंखुद पर विश्वास हो बस....
समय के पहिये का रुख हम खुद मोड़ लेंगे...
सादर.
धैर्य और विवेक
जवाब देंहटाएंरखना होगा अपने संग
तो खुद-ब-खुद
आ जाएगा जीने का ढंग!!bahut achchi pangtiyan.......
विषम परिस्थियों में
जवाब देंहटाएंधैर्य और विवेक
रखना होगा अपने संग
तो खुद-ब-खुद
आ जाएगा जीने का ढंग!!
....बिलकुल सच कहा है...बहुत सुंदर रचना..
जीवन दर्शन को कहती सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअनमोल वचन..
जवाब देंहटाएंकल शनिवार , 25/02/2012 को आपकी पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
आ जाएगा जीने का ढंग'
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर |
आशा
विषम परिस्थियों में
जवाब देंहटाएंधैर्य और विवेक
रखना होगा अपने संग
तो खुद-ब-खुद
आ जाएगा जीने का ढंग!!
बेहद सटीक सीख .चाहे तो सीख .
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबहूत हि सही कहा है सर ,,
जवाब देंहटाएंखुद पर धीरज रखने से ,,,
आपने क्रोध पर काबू रखने से
सब ठीक हो जाता है....
बेहतरीन रचना.....
धैर्य और विवेक
जवाब देंहटाएंरखना होगा अपने संग
तो खुद-ब-खुद
आ जाएगा जीने का ढंग!!
जीवन का सार .....बस इतना ही....!!
सुन्दर रचना , बधाई ,
जवाब देंहटाएंसादर
मन की व्यग्रता को बड़े सशक्त बिम्बों में चित्रित किया है आपने...उत्कृष्ट..
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएं