![]() मौसम कितना हुआ सुहाना। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते। सरसों ने पहना पीताम्बर, गेहूँ के बिरुए लहराते।। दिवस बढ़े हैं शीत घटा है, नभ से कुहरा-धुंध छटा है, पक्षी कलरव राग सुनाते। काँधों पर काँवड़ें सजी हैं, बम भोले की धूम मची है, शिवशंकर को सभी रिझाते। होली की मस्ती छाई है, अपनी बेरी गदराई है, झूम-झूम सब हँसते गाते। निर्मल है नदियों का पानी, पेड़ों पर छा गई जवानी, खुश हो करके ये इठलाते। बच्चों अब मत समय गँवाओ, पढ़ने में भी ध्यान लगाओ, सीख काम की हम सिखलाते। प्रतिदिन पुस्तक को दुहराओ, पास परीक्षा में हो जाओ, श्रम से सभी सफलता पाते। |
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bahut sundar shikshprad geet bachchon ko hi nahi badon ko bhi pasand aayega.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर...
जवाब देंहटाएंये तो बच्चों की पाठ्य पुस्तक में शामिल की जानी चाहिए..
सादर.
क्या बात है ..मौसम का सुनाया हाल ..
जवाब देंहटाएंऔर बच्चों को भी सीख ..
kalamdaan.blogspot.in
वन्दना द्वारा blogger.bounces.google.com
जवाब देंहटाएं12:07 अपराह्न (11 मिनट पहले)
मुझे
वन्दना ने आपकी पोस्ट " मौसम कितना हुआ सुहाना।रंग-बिरंगे सुमन सुहाते।... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
सुन्दर रचना।
बहुत सुन्दर दादू......
जवाब देंहटाएंमौसम के साथ बढ़िया सीख....
सुहाने मौसम का मधुर वर्णन करती एक सुहानी सी बल-कविता....सचमुच बहुत ही अच्छी लगी!!!
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति शानदार है |
जवाब देंहटाएंबच्चों अब मत समय गँवाओ,
पढ़ने में भी ध्यान लगाओ,
सीख काम की हम सिखलाते।
यहाँ पधारें
http://www.akashsingh307.blogspot.com
मेरे छोटे-२ बच्चे याद आ गए वे इसी तरह पढ़ा करते थे
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना,...
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya baal geet babu ji... aabhar
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए अच्छा सन्देश..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंप्रतिदिन पुस्तक को दुहराओ,
जवाब देंहटाएंपास परीक्षा में हो जाओ,
श्रम से सभी सफलता पाते।
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
बहुत सुंदर बाल कविता- पाठ्यक्रम में होना चाहिए॥
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए भी सीख है..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंपुस्तक अपनी, प्यार करो,
जवाब देंहटाएंशिक्षा का उपहार भरो..
बच्चों को शिक्षा देती एक खूबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
श्रम हि शक्ती है,
जवाब देंहटाएंबहूत सुंदर बाल कविता है .
बहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंachhi kavita hain....mausam ke apne rang hain..jo sab apki kavita me chalak aye hain
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