भारत की महानता का, नही है अतीत याद, वोट माँगने को, नेता आया बिनबुलाया है। देश का कहाँ है ध्यान, होता नित्य सुरापान, जाति, धर्म, प्रान्त जैसे, मुद्दों को भुनाया है। युवराज-सन्त चल पड़े, गली-हाट में, निर्वाचन के दौर ने, ये दिन भी दिखाया है। |
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मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012
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निर-वचन कर दिया इस निर्वाचन ने..
जवाब देंहटाएंनिर्वाचन पर हो गए, मतदाता निर्वाक्य ।
जवाब देंहटाएंराहुल बाबा पर कहाँ, करते टिप्पण शाक्य ।
करते टिप्पण शाक्य, नगर गौतम श्रावस्ती ।
नंगे दारुबाज, सजी मस्ती की बस्ती ।
फँसे गुरु निर्वचन, करे नेतागण मंचन ।
नौटंकी को लाज, अजी तिकड़म निर्वाचन ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
युवराज-सन्त चल पड़े, गली-हाट में,
जवाब देंहटाएंनिर्वाचन के दौर ने, ये दिन भी दिखाया है।
युवराज मंत मति को आपने युवराज संत कैसे कह दिया
रचना संक्षिप्त और सुन्दर है .
Virubhaai
हटाएंyuvraj aur sant yani baba padhen
बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंसटीक...
जवाब देंहटाएंकहत ये रूपचंद शास्त्री मयंक आज
जवाब देंहटाएंचुनावों में मुखौटा सभी ने चढाया है ।
बहुत बढ़िया,चुनावों में मुखौटा सभी ने चढाया है ।
जवाब देंहटाएंachcha kararaa vyangyatmak muktak.
जवाब देंहटाएंसब हाजिर हैं जनता सम्मुख..
जवाब देंहटाएंसब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
जवाब देंहटाएंचुल्लू भर जनता के हिस्से,इनके हिस्से सागर है,
छल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,.....
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इन दिनों सब कुछ सतह पर आ जाता है।
जवाब देंहटाएं:) acchi lagi
जवाब देंहटाएंकुक्कुरमुत्ता उग गये,हर घूरे के ढेर |
जवाब देंहटाएंईश्वर ईश्वर छोड़ कर,'नेता, नेता' टेर ||
'नेता नेता'टेर,तुझे निज पीठ बिठाये |
'हाँ जी,हाँ जी'अगर नहीं की,तुरत गिराए ||
बड़ा बुरा हो हांल,हो ज्यों 'खुजली का कुत्ता'|
पायेगा 'हर खाद',बने जो 'कुक्कुर्मुत्ता' ||