खण्डरों
को देख कर, ये हो रहा आभास है
आत्माओं
का यहाँ पर, आज भी आवास है
जो
यहाँ आता उसी को दे रहीं सन्देश हैं
खो
गये हैं सब पुराने अब यहाँ परिवेश हैं
स्वाधीनता
हम छोड़ आये थे तुम्हारे वास्ते
किन्तु
तुमने तो बदल डाले सभी वो रास्ते
वारिसों
ने आज ये, प्रपंच है कैसा रचा
प्रजा
गायब हो गई है, तन्त्र ही बाकी बचा
आज घोटाले पनपते, तन्त्र की ही आड़ में
भर
रहे अपना उदर सब, देश जाए भाड़ में
घूसखोरी
का वतन में, कब थमेगा सिलसिला
झूठ
की बुनियाद पर, कब तक टिकेगा ये किला
क्या
शहीदों की शहादत का यही अंजाम है
देश
में अब वीरता का हो रहा अपमान है
अब
नहीं अवतार लेंगे, इस धरा पर हम कभी
देखकर
इस “रूप” को, आहत हुए हैं
हम सभी
|
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मंगलवार, 4 जून 2013
"हो रहा आभास है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर रचना शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंन जाने किस राह चली है यह आजादी।
जवाब देंहटाएंvicharon ko jivant karti rachna
जवाब देंहटाएंमुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
जवाब देंहटाएंआप की ये रचना 07-06-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
जय हिंद जय भारत...
कुलदीप ठाकुर...
यह उक्ति सहसा याद हो आई , " हम क्या थे, क्या हो गए और क्या होंगे अभी" बहुत कचोटता है यह प्रश्न ! यही टीस इस रचना में भी मुखर हुई है। यह वेदना साझी है !
जवाब देंहटाएंमं आपका बहुत बहुत आभारी हु.......................
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंक्या बात, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सही, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत बढ़िया रचना है।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआज घोटाले पनपते, तन्त्र की ही आड़ में
जवाब देंहटाएंभर रहे अपना उदर सब, देश जाए भाड़ में-------
आदरणीय आप वर्तमान के सच को अपनी रचनाओं में बहुत जीवंतता और सटीक व्याख्या के साथ उकेर देते है
सादर
आग्रह है
गुलमोहर------
आजकल ऎसी श्रेष्ठ कवितायें बहुत कम पढ़ने को मिल रही हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंखेत को जब बाड़ खाए |
जवाब देंहटाएंभाड़ में तब देश जाए ||
आभार गुरुवर-
बढ़िया प्रस्तुति-
aapke dard se sahmat hoon ..bahut hi bhawnapurn prastuti ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंguru jee
जवाब देंहटाएंroop shabd ka istemaal chaar chaand laga raha hai aapki rachnaao mein!
बहुत सुन्दर कृति..
जवाब देंहटाएंक्या शहीदों की शहादत का यही अंजाम है
जवाब देंहटाएंदेश में अब वीरता का हो रहा अपमान है
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
अब तो यही लग रहा है शहीदों ने बलिदान इन घोटालेबाजों के लिए ही किया था.शायद उनकी आत्मा यह सब देख कर पछता रही होगी.