दिल
बहकने लगा आज ज़ज़्बात में
शायद रिश्ता हो उनसे किसी जन्म का
वो रहे होंगे अपने कभी साथ में
प्यार तो एक शतरंज का खेल है
हमको आने लगा है मज़ा मात में
प्रीत बिकती नहीं है किसी हाट में
ये तो दिलवर ही देते हैं सौगात में
नग़मगी ख़्वाब हम हैं सजाये हुए
वो ही छाये हुए हैं ख़यालात में
हमने देखा है दिल “रूप” देखा नहीं
बन्द
हैं हम तो दिल की हवालात में
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शुक्रवार, 7 जून 2013
"छाये हुए हैं ख़यालात में" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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प्यार तो एक शतरंज का खेल है
जवाब देंहटाएंहमको आने लगा है मज़ा मात में...प्रेम की बाज़ी में जीत हार का गणित अलग ही है.....
प्यार के आयामों को खोलती बहुत सशक्त रचना...हार्दिक बधाई!
वाह बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंसादर नमन-
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-
वाह वाह ...
जवाब देंहटाएंप्रीत बिकती नहीं है किसी हाट में
ये तो दिलवर ही देते हैं सौगात में
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(8-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
वाह बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंअरे वाह। बहुत अच्छा गीत है।
जवाब देंहटाएंप्यार तो एक शतरंज का खेल है
जवाब देंहटाएंहमको आने लगा है मज़ा मात में,,,वाह वाह !!!क्या बात है
शानदार,उम्दा गजल ,,,
RECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )
बहुत लाजवाब.
जवाब देंहटाएंरामराम.
waah waah guru ji pranam
जवाब देंहटाएंlazwab rachna
is photo mein to aap Dharmendra lag rahe hain guru jee...
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