"बादल" शीर्षक से यह गीत लिखा था। इसे मैं अपनी आवाज में
प्रस्तुत कर रही हूँ- श्रीमती अमर भारती ![]()
बड़ी हसरत दिलों में थी, गगन में छा गये बादल।
हमारे गाँव में भी आज, चल कर आ गये बादल।।
गरज के साथ आयें हैं, बरस कर आज जायेंगे,
सुहानी चल रही पुरवा, सभी को भा गये बादल। हमारे गाँव में भी आज, चल कर आ गये बादल।।
धरा में जो दरारें थी, मिटी बारिश की बून्दों से,
किसानों के मुखौटो पर, खुशी चमका गये बादल। हमारे गाँव में भी आज, चल कर आ गये बादल।।
पवन में मस्त होकर, धान लहराते फुहारों में,
पहाड़ों से उतर कर, मेह को बरसा गये बादल। हमारे गाँव में भी आज, चल कर आ गये बादल।। |
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सौन्दर्य का अमृत बरसाते बादल, सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर मधुर गीत !आनंद आया.
जवाब देंहटाएंlatest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
धरा में जो दरारें थी, मिटी बारिश की बून्दों से,
जवाब देंहटाएंकिसानों के मुखौटो पर, खुशी चमका गये बादल।
हमारे गाँव में भी आज, चल कर आ गये बादल।।
बहुत खुब...
बहुत खुब,बढ़िया
जवाब देंहटाएंvisit to
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सुन्दर मधुर गीत,सादर आभार।
जवाब देंहटाएंसुमधुर गीत को सस्वर प्रस्तुत करने के लिए आप दोनों को बधाई !
जवाब देंहटाएंगरज के साथ आयें हैं, बरस कर आज जायेंगे,
जवाब देंहटाएंसुहानी चल रही पुरवा, सभी को भा गये बादल।
हमारे गाँव में भी आज, चल कर आ गये बादल।।
bahut sundar
बहुत उम्दा मधुर गीत ,,,आप दोनों को बधाई ,,,,
जवाब देंहटाएंसुन्दर मधुर गीत,सादर आभार।
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder rachna hai ...................
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सुंदर और मधुर गीत धन्यवाद!!
जवाब देंहटाएंkya baat hai....mausam bahut achha hai!
जवाब देंहटाएंमधुर गीत गुरु जी बहुत खूब
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