हिन्दी भाषा का हुआ, दूषित विमल-वितान।
स्वर-व्यंजन की है नहीं, हमको कुछ
पहचान।।
बात-चीत परिवेश में, अंग्रेजी उपलब्ध।
क्यों हमने अपना लिए, विदेशियों के
शब्द।।
सिसक रही है वर्तनी, खिसक रहा आधार।
अपनी हिन्दी का किया, हमने बण्टाधार।।
बेमन से हम बाँटते, भाषा का उपहार।
पन्द्रह दिन के वास्ते, हिन्दी से है
प्यार।।
हिन्दी पखवाड़ा गया, देकर ये सौगात।
एक साल के बाद फिर, हिन्दी की हो बात।।
|
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गुरुवार, 19 सितंबर 2013
"हिन्दी पखवाड़ा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (20-09-2013) के चर्चामंच - 1374 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंहिन्दी का प्रयोग पूरे वर्ष रहे और शुद्ध रूप में रहे।
जवाब देंहटाएंहै जिसने हमको जन्म दिया,हम आज उसे क्या कहते है ,
जवाब देंहटाएंक्या यही हमारा राष्र्ट वाद ,जिसका पथ दर्शन करते है
हे राष्ट्र स्वामिनी निराश्रिता,परिभाषा इसकी मत बदलो
हिन्दी है भारत माँ की भाषा ,हिंदी को हिंदी रहने दो,,,
बहुत खूब,सुंदर रचना !
RECENT POST : हल निकलेगा
सिसक रही है वर्तनी, खिसक रहा आधार। अपनी हिन्दी का किया, हमने बण्टाधार।।
जवाब देंहटाएंशतप्रतिशत सही लिखा है आपनें !!
हिंदी पखवारे की असीम शुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंहिंदी पखवाड़े की अनन्त शुभ एवं मंगलकामनाये ,,हमारी हिंदी चिरायु और स्वस्थ रहे इसी आशा और सम्भावना के साथ !!....हम सभी सार्थक हो
जवाब देंहटाएंहिन्दी भाषा का हुआ, दूषित विमल-वितान।
जवाब देंहटाएंस्वर-व्यंजन की है नहीं, हमको कुछ पहचान।।
.........बेहद सुंदर...सार्थक रचना...
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंHow to repair window 7 and fix corrupted file without using any software
हिन्दी को भी सम्मिलित प्रयासों की आवश्यकता है.
जवाब देंहटाएं