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ओम् जय शिक्षा दाता, जय-जय शिक्षा दाता।
जो जन तुमको ध्याता, पार उतर जाता।।
तुम शिष्यों के सम्बल, तुम ज्ञानी-ध्यानी।
संस्कार-सद्गुण को गुरु ही सिखलाता।।
कृपा तुम्हारी पाकर, धन्य हुआ सेवक।
मन ही मन में गुरुवर, तुमको हूँ ध्याता।।
कृष्ण-सुदामा जैसे, गुरुकुल में आते।
राजा-रंक सभी का, तुमसे है नाता।
निराकार है ईश्वर, गुरु-साकार सुलभ।
नीति-रीति के पथ को, गुरु ही बतलाता।।
सद्गुरू यही चाहता, उन्नति शिष्य करे।
इसीलिए तो डाँट लगाकर, दर्शन समझाता।।
गुरूदेव का वन्दन, प्रतिदिन जो करता।
सरस्वती माता का, वो ही वर पाता।।
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सुन्दर वंदना!
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम!
वाह शास्त्री जी प्रणाम!
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता, शिक्षक दिवस की शुभकामनायें..
जवाब देंहटाएंआरती-वारती गुरुदेव को ही लिखने दीजिए ना.....आप गान, माने की गाना काहे नहीं लिखते.....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक ने हटा दिया है.
जवाब देंहटाएंगुरुवर करूँ प्रणाम मैं, रविकर मेरो नाम |
हटाएंपाया अक्षर ज्ञान है, पाया ज्ञान तमाम |
पाया ज्ञान तमाम, निपट अज्ञानी लेकिन |
बहियाँ मेरी थाम, अनाड़ी हूँ तेरे बिन |
सतत मिले आशीष, पुन: आया हूँ दरपर |
करिए शुभ कल्याण, शिष्य सच्चा हूँ गुरुवर -
शिक्षक दिवस की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर रचना दिनांक 06.09.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाये...!
जवाब देंहटाएंजय हो गुरुदेव की जिन्होने यहाँ तक पहुंचाया।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाये !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - शुक्रवार -6/09/2013 को
जवाब देंहटाएंधर्म गुरुओं का अधर्म की ओर कदम ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः13 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
bahut sundar .......
जवाब देंहटाएंsundar kavita... shikshak diwas ki hardik shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
जवाब देंहटाएंगुरूदेव का वन्दन, प्रतिदिन जो करता।
जवाब देंहटाएंसरस्वती माता का, वो ही वर पाता।। बहुत सुंदर प्रस्तुति
सार्थक प्रस्तुति
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