“DEATH IS A FISHERMAN
BENJAMIN FRANKLIN
काव्यानुवाद
दुनिया एक सरोवर है,
और मृत्यु इक मछुआरा है! हम मछली हैं अवश-विवश सी, हमें जाल ने मारा है!! मछुआरे को हम जीवों पर कभी दया नहीं आती है! हमें पकड़कर खा जाने को, जान नहीं घबराती है!! तालाबों में झूम रहा है जाल मृत्यु बन घूम रहा है! मछुआरा चुन-चुन कर सबको बेदर्दी से भून रहा है!! आये हैं तो जाना होगा मृत्यु अवश्यम्भावी है! इक दिन तो फँसना ही होगा, जाल नहीं सद्-भावी है!! |
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मूल भाव यथावत कायम-
जवाब देंहटाएंबढ़िया अनुवाद -
आभार गुरुवर-
सुन्दर अनुवाद!
जवाब देंहटाएंसादर!
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (22-09-2013) के चर्चामंच - 1376 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
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जवाब देंहटाएंबढ़िया अनुवाद मूल रचना साथ हो तो कहना ही क्या हम भी कहें फिर भावानुवाद।
बहुत सुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएंHow to repair a corrupted USB flash drive
जवाब देंहटाएंतालाबों में झूम रहा है
जाल मृत्यु बन घूम रहा है!
मछुआरा चुन-चुन कर सबको
बेदर्दी से भून रहा है!!------
कमाल का अनुवाद
भावपूर्ण रचना
सादर