सौदागर
तैयार खड़े हैं,
कैसे शब्द बचेंगे अपने।
रुतबे
जिनके बड़े-बड़े हैं,
देख
रहे वो दिन में सपने।।
ग़ालिब़
से वो ग़ज़ल माँगते,
तुलसी
से दोहा-चौपाई।
बच्चन
जी से माँग रहे हैं,
मधुशाला
की कुछ रूबाई।
जिद
करने पर लोग अड़े हैं,
गाय कसाई
चले हड़पने।
मीठी-मीठी
बात बनाते,
अपने-अपने
दाँव चलाते।
खनक दिखा करके सिक्कों की,
उलटी
गिनती हमें सिखाते।
“रूप”
बदलकर लोभी बगुले,
लगे राम
की माला जपने।
होते
हैं अलमस्त सुख़नवर,
फाके-मस्ती
में जीते हैं।
अमृत
बाँट रहे दुनिया को,
लेकिन
स्वयं गरल पीते हैं।
काँटों
की गोदी में पलकर,
चले चहकने
और महकने।
इन्सानों
की बस्ती में अब,
धर्म
नहीं, ईमान नहीं है।
खुल्लम-खुल्ला
न्याय बिक रहा ,
लगता
कोई विधान नहीं है।
उपवन
में आवारा माली,
कोमल कलियाँ लगे मसलने।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 15 जनवरी 2014
"कैसे शब्द बचेंगे अपने" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों स...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16-01-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
वाह !
जवाब देंहटाएंvery nice .
जवाब देंहटाएंशब्दों से अभिभूत हों हम, न कि व्यक्तित्वों से।
जवाब देंहटाएंमनोहरता को प्रदर्शित किया है जो आज इस युग की धारा बनीं हुईं हैं
जवाब देंहटाएं