काफी समय पहले मैंने
मधुमास का यह गीत लिखा था!
मेरे आग्रह पर इसे मेरी मुँहबोली भतीजी
अर्चना चावजी ने बहुत मन से गाया था!
आप भी इस गीत का रस लीजिए!
फागुन की फागुनिया लेकर, आया मधुमास!
पेड़ों पर कोपलियाँ लेकर, आया मधुमास!!
धूल उड़ाती पछुआ चलती, जिउरा लेत हिलोर,
देख खेत में सरसों खिलती, नाचे मन का मोर,
फूलों में पंखुड़िया लेकर, आया मधुमास!
पेड़ों पर कोपलियाँ लेकर, आया मधुमास!!
निर्मल नभ है मन चञ्चल है, सुधरा है परिवेश,
माटी के कण-कण में, अभिनव उभरा है सन्देश,
गीतों में लावणियाँ लेकर, आया मधुमास!
पेड़ों पर कोपलियाँ लेकर, आया मधुमास!!
छम-छम कानों में बजती हैं गोरी की पायलियाँ,
चहक उठी हैं, महक उठी हैं, सारी सूनी गलियाँ,
होली की रागनियाँ लेकर, आया मधुमास!
पेड़ों पर कोपलियाँ लेकर, आया मधुमास!!
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सोमवार, 2 मार्च 2015
गीत-फागुन की फागुनिया लेकर आया मधुमास" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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निर्मल नभ है मन चञ्चल है, सुधरा है परिवेश,
जवाब देंहटाएंमाटी के कण-कण में, अभिनव उभरा है सन्देश,
वाह बहुत सुंदर ....!
सुन्दर, मनभावन.
जवाब देंहटाएं