नवम्बर 2015 के आखिरी सप्ताह की बात है। मैं सब्जी लेने के ले बाजार गया
तो मुझे आटा चक्की के साइड में बने एक टीन शैड में 10-12 बहुत छोटे पिल्ले दिखाई
दिये। मैंने आटा चक्की के मालिक से पूछा कि ये इतने सारे पिल्ले कहाँ से आये। तो
उसने जवाब दिया कि 3-4 कुतियाँ चक्की के आस-पास रहती हैं, जो मेरी चक्की की रखवाली
भी करती हैं। उन्हीं के ये बच्चे हैं। मैंने अतिरिक्त पड़ी टीनों को करीने से
रखवा कर इनके लिए घर बनवा दिया है।
तब मैंने चक्कीवाले से कहा कि क्या में इनमें से छाँटकर एक पिल्ला ले जा
सकता हूँ?
उसने खुश होकर कहा कि यह तो बहुत अच्छा होगा कि एक आवारा कुत्ते का बच्चा
अच्छे घर में रहेगा।
मैंने उन पिल्लों में से एक बिल्कुल काले रंग का पिल्ला छाँट लिया। उन
दिनों वह 15-16 दिन का रहा होगा। जो अपने आप खान-पीना भी नहीं जानता था। एक बहुत छोटी सी पॉलीथीन की थैली में रककर में उसको घर ले आया। उसके लिए मेरे
पौत्र-पौत्री ने गत्ते की पेटी का सुन्दर सा घर भी बना दिया। 2-3 दिनों तक उसे
निप्पल से दूध पिलाया तो फिर वह अपने आप भी दूध पीने लगा। बड़े चाव से उसका नाम
चिंकू रखा गया।
15-20 दिनों में वह कापी तन्दरुस्त हो गया। लेकिन तभी उसने अचानक खाना-
पीना छोड़ दिया। उसे काफी तेज बुखार था और आँखों से दिखना भी बन्द हो गया था।
हमने उसके बचने की आशा बिल्कुल छोड़ दी थी लेकिन इंजक्शन और दवा चलती रही। जब वह
मरणासन्न हो गया तो मेरे मन में आया कि इसे एक बार ग्लीसरीन का एनीमा लगा दिया
जाये। घर के लोग मना करते रहे और मैंने उसको ग्लीसरीन का एनीमा दे दिया। करीब 15
मिनट बात उसने बिल्कुल काले रंग का मल त्याग किया।
3-4 घंटे के बात वह आँखें खोलकर भी देखने लगा। इसबार जब उसको दूध दिया तो
उसने थोड़ा सा दूध भी चाटा। इस तरह मौत के मुँह में जाकर भी चिंकू वापिस लौट
आया।
चिंकू की विशेषता यह है कि वह बहुत सीधा है और काटना बिल्कुल नहीं जानता है।
किसी बात पर डाँटने या कुछ सजा देने पर बिल्कुल बच्चों की तरह व्यवहार करता है।अब
चीकू लगभग 5 महीने का हो गया है। खूब हृष्ट-पुष्ट भी हो गया है। पतली सी काले
रंग की रेशमी डोरी में पूरे दिन बँधा रहता है। मगर आज तक उसने उस कमजोर डोरी को
कभी अपने दाँतों से काटा नहीं है।
अभी चार दिन पहले की बात है उसे फिर से बुखार आ गया और उसका खाना-पीना
बिल्कुल बन्द हो गया। इंजक्शन और दवाइयाँ चल रही हैं। उसे फिर से दूध इंजक्शन की
पिचकारी से जबरदस्ती पिलाया जा रहा है। आज चीकू थोड़ा सा ठीक है। काफी कमजोर भी
हो गया है।
मेरी श्रीमती जी को भी अब चिंकू से काफी लगाव हो गया है। क्योंकि पालतू जानवर
सिर्फ पालतू ही नहीं होता बल्कि घर का सदस्य भी होता है।
शेष भाग गली कड़ी में....
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