कैसे फूल खिलें उपवन में?
द्वार कामना से संचित है,
हृदय भावना से वंचित है,
प्यार वासना से रंजित है,
सन्नाटा पसरा गुलशन में।
कैसे फूल खिलें उपवन में?
सूरज शीतलता बरसाता,
चन्दा अगन लगाता जाता,
पागल षटपद शोर मचाता,
धूमिल तारे नीलगगन में।
कैसे फूल खिलें उपवन में?
युग केवल अभिलाषा का है,
बिगड़ गया सुर भाषा का है,
जीवन नाम निराशा का है,
कोयल रोती है कानन में।
कैसे फूल खिलें उपवन में?
अंग और प्रत्यंग वही हैं,
पहले जैसे रंग नहीं हैं,
जीने के वो ढंग नहीं हैं,
काँटे उलझे हैं दामन में।
कैसे फूल खिलें उपवन में?
मौसम भी अनुरूप नहीं है,
चमकदार अब धूप नहीं है,
तेजस्वी अब “रूप” नहीं है,
पात झर गये मस्त पवन में।
कैसे फूल खिलें उपवन में?
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गुरुवार, 29 मार्च 2018
गीत "सन्नाटा पसरा गुलशन में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर
जवाब देंहटाएंआज का यही सच है !
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