नवसम्वतसर आपका, करे अमंगल दूर।
देश-वेश-परिवेश में, खुशियाँ हों भरपूर।।
बाधाएँ सब दूर हों, हो आपस में मेल।
मन के उपवन में सदा, बढ़े प्रेम की बेल।।
एक मंच पर बैठकर, आओ करें विचार।
अपने प्यारे देश का, कैसे हो उद्धार।।
मर्यादा के साथ में, खूब मनाएँ हर्ष।
बालक,वृद्ध-जवान को, मंगलमय हो वर्ष।।
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जब बसन्त का मौसम आता,
गीत प्रणय के गाता उपवन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते गुंजन।।
पेड़ और पौधें भी फिर से,
नवपल्लव पा जाते हैं,
रंग-बिरंगे सुमन चमन में,
हर्षित हो मुस्काते हैं,
नयी फसल से भर जाते हैं,
गाँवों में सबके आँगन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते गुंजन।।
आता है जब नवसम्वतसर,
मन में चाह जगाता है,
जीवन में आगे बढ़ने की,
नूतन राह दिखाता है,
होली पर अच्छे लगते हैं,
सबको नये-नये व्यंजन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते गुंजन।।
माता का वन्दन करने को,
आते हैं नवरात्र सुहाने,
तन-मन का शोधन करने को,
गाते भक्तिगीत तराने,
राम जन्म लेते नवमी पर
दुःख दूर करते रघुनन्दन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते गुंजन।।
हर्ष मनाते बैशाखी पर,
अन्न घरों में आ जाता है,
कोयल गाती पंचम सुर में,
आम-नीम बौराता है,
नीर सुराही का पी करके,
मन हो जाता है चन्दन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते गुंजन।।
देवभूमि अपना भारत है,
आते हैं अवतार यहाँ,
षड्ऋतुओं का होता संगम,
दुनियाँ में है और कहाँ,
भारत की पावन माटी को,
करता हूँ शत्-शत् वन्दन।
मधुमक्खी-तितली-भँवरे भी,
खुश हो करके करते गुंजन।।
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शनिवार, 17 मार्च 2018
नवसम्वत्सर "चार दोहे-एक गीत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर सामयिक रचना
जवाब देंहटाएं....
बढ़िया सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.नवसंवत्सर की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंbahut sundar chaitra navratri ki hardik shubhkamnayen
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