आज गले लगते नहीं, गले पड़े हैं लोग।
तन से तो संयोग है, मन में भरा वियोग।। जनता के ही तन्त्र में, जनता की है मात। धूप रूप की ढल गयी, आयी काली रात।।
नहीं चलाया अभी तक, कभी लक्ष्य पर तीर।
इसीलिए कश्मीर की, फूटी है तकदीर।।
तू—तू, मैं-मैं की लगी, राजनीति में होड़।
कूटनीति कमजोर है, फूटनीति बेजोड़।।
अन्न और जल हैं सभी, दूषण से भरपूर।
जनसाधारण हो गया, आज मजे से दूर।।
नहीं रहे चाणक्य से, राजनीति में सन्त।
कूटनीति का हो गया, भारत से अब अन्त।
दिल से निकले भाव ही, देते हैं उल्लास।
जीवन को करते सरस, हास और परिहास।।
अपने प्यारे देश में, समझो तभी सुराज।
देवनागरी में करें, जब हम अपने काज।।
गद्य-पद्य से युक्त है, हिन्दी का साहित्य।
हिन्दी के परिवेश में, भरा हुआ लालित्य।।
इस असार संसार में, बिखरे कितने रंग।
आकुल मेरा मन हुआ, देख जगत के ढंग।।
भगवन मेरी भूल पर, मत हो जाना रुष्ट।
मेरा मन तो बावरा, कभी न हो सन्तुष्ट।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

बहुत बढ़िया ग़ज़ल . हमेशा की तरह शानदार .
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (13-06-2018) को "कलम बना पतवार" (चर्चा अंक-3000) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी