शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन।।
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घोर तम है भरा आज परिवेश में,
सभ्यता सो गई आज तो देश में,
हो रहा है सुरा से यहाँ आचमन।
शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन।।
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दो सुमेधा मुझे मैं तो अनजान हूँ,
माँगता काव्य-छन्दों का वरदान हूँ,
चाहता हूँ वतन में सदा हो अमन।
शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन।।
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वन्दना आपकी नित्य मैं कर रहा,
शीश चरणों में, मैं आपके धर रहा,
आपके दर्शनों के हैं प्यासे नयन।
शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन।।
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तान वीणा की माता सुना दीजिए,
मेरे मन को सुमन अब बना दीजिए,
हो हमेशा चहकता-महकता चमन।
शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन।।
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मंगलवार, 28 जनवरी 2020
वन्दना "शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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भावपूर्ण सुंदर वंदना
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती की सुंदर प्रार्थना ,आज बसंत पंचमी हैं और इस अवसर पर आपका ये सुंदर सृजन मन को भा गया।
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती के इस पावन दिवस की हार्दिक बधाई
समयानुसार बहुत सार्थक रचना बसंत का सुंदर चित्रण।
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