--
मैं हूँ निपट भिखारी, कुछ दान माँगता हूँ।
झोली पसारकर माँ, मैं ज्ञान माँगता हूँ।।
--
दुनिया की भीड़ से मैं,
बच करके चल रहा हूँ,
माँ तेरे रजकणों को,
माथे पे मल रहा हूँ,
निष्प्राण अक्षरों में, मैं प्राण माँगता हूँ।
झोली पसारकर माँ, मैं ज्ञान माँगता हूँ।।
--
अज्ञान का अन्धेरा,
छँट जाये मन से मेरे,
विज्ञान का सवेरा,
हो जाये मन में मेरे,
मैं शीश को नवाकर, प्रज्ञान माँगता हूँ।
झोली पसारकर माँ, मैं ज्ञान माँगता हूँ।।
--
तुलसी, कबीर जैसी,
मैं भक्ति माँगता हूँ,
मीरा व सूर सी माँ!
आसक्ति माँगता हूँ,
छन्दों का आपसे माँ, वरदान माँगता हूँ।
झोली पसारकर माँ, मैं ज्ञान माँगता हूँ।।
--
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

I have been browsing online more than 4 hours today, yet I never found any interesting article like yours.
जवाब देंहटाएंIt's pretty worth enough for me. In my opinion, if all site owners and bloggers made good content as you did,
the internet will be a lot more useful than ever before.
latest news in hindi
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30.1.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3596 में दिया जाएगा । आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
अति सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं