माता के इस लाल पर, भारत को अभिमान।। -- आज दिखावे के लिए, लगी सदन में भीड़। अटल बिहारी के बिना, सूना संसद नीड़।। -- कथनी-करनी में अटल, सदा रहे अनुरक्त। शब्दों से वाचाल थे, मन से रहे सशक्त।। -- अटल बिहारी हों भले, अन्तरिक्ष में लीन। पुनर्जन्म लेंगे यहाँ, सबको यही यकीन।। -- देशभक्ति-दलभक्ति के, संगम थे अभिराम। अमर रहेगा जगत में, अटल आपका नाम।। -- आने-जाने के नहीं, नियत दिवस-तारीख। देता काल-कराल है, दुनिया भर को सीख।। -- लुप्त हो गया सदन में, स्वस्थ हास-परिहास। संसद में अब काव्य का, मेला हुआ उदास।। -- देशवासियों के लिए, क्रिसमस का उपहार। अटल बिहारी के बिना, सूना लगता द्वार।। -- |
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रविवार, 25 दिसंबर 2022
दोहे "शब्दों से वाचाल थे, मन से रहे सशक्त" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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