चुम्बन दिवस (KISS-DAY) -- चुम्बन का दिन आ गया, कर लो सच्चा प्यार। बिना मोल के जो मिले, चुम्बन वो उपहार।१। चुम्बन-आलिंगन नहीं, होता सच्चा प्यार। दिल से दिल के मिलन का, खिसक रहा आधार।२। जीत रही है वासना, हार रहा है प्यार। अब चुम्बन के नाम पर, होते पापाचार।३। छोटी-छोटी बात पर, होता है तकरार। पावन-चुम्बन बन गया, अब केवल व्यापार।४। चुम्बन करके अनबुझी, बुझा रहे सब प्यास। जीवनचर्या का कहीं, हुआ नहीं आभास।५। अपनाओ निज सभ्यता, छोड़ विदेशी ढंग। परिणय करके कीजिए, जीवन भर का संग।६। सबसे अच्छा विश्व में, अपना भारत देश। नैसर्गिक अनुभाव के, सजे यहाँ परिवेश।७। कामुकता-अश्लीलता, बढ़ती जग में आज। झुठे चुम्बन से हुआ, दूषित देश समाज।८। एक दिवस की प्रतिज्ञा, एक दिवस का प्यार। एक दिवस का चूमना, पश्चिम के किरदार।९। भूल गये हैं लोग अब, माँ का प्यार-ममत्व। बढ़ता जाता देश में, कृत्रिम प्रेम-घनत्व।१०। चुम्बन के व्यापार का, कैसे मिटे कलंक। गंगा जी में आ गयी, अब तो दूषित-पंक।११। -- नहीं आचरण शुद्ध है, लुप्त हो गये बुद्ध। दुनियाभर में ज्ञान की, धार हुई अवरुद्ध।१२। मन में तो है मलिनता, तन में भरी सुगन्ध। चुम्बन तक सीमित हुए, नवयुग में सम्बन्ध।१३। |
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मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024
दोहे "पश्चिम के किरदार)" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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