-- छोटे पुत्र विनीत का, जन्मदिवस है आज। बादल नभ में खुशी से, बजा रहा है साज।। -- पूरे किये विनीत ने, पैंतालीस बसन्त। खुशियाँ कुल परिवार में, पसरी हैं अत्यन्त।। -- अपने-अपने ढंग से, लाये सब उपहार। इस अवसर पर दे रहा, मैं तो प्यार अपार।। -- मेरे कर्मों का दिया, प्रभु ने ये प्रतिदान। पढ़-लिख करके बन गये, दोनों पुत्र महान।। -- अनुकम्पा का ईश की, कैसे करूँ बखान। सेवारत सरकार में, मेरी हैं सन्तान।। -- इस पड़ाव में उमर के, नहीं मुझे कुछ चाह। बस मुझको परिवार की, मिलती रहे पनाह।। -- देता शुभ आशीष मैं, तुमको सौ-सौ बार। रहना घर-परिवार में, बनकर सदा उदार।। -- अभ्यागत के लिए तुम, बन्द न करना द्वार। कभी किसी भी मोड़ पर, होना मत लाचार।। -- |
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शुक्रवार, 21 जून 2024
"पूरे किये विनीत ने, पैंतालीस बसन्त" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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