हुल्लड़ और धमाल मचाने, फिर से आई होली।। कोई पीकर भंग नाचता, कोई सुरा चढ़ाए, कोई राग-रागनी गाता, कोई ढोल बजाए, मस्तक-चेहरों पर चित्रित है लाल-हरी रंगोली। हुल्लड़ और धमाल मचाने, फिर से आई होली।। पश्चिम से पछुवा चलती है, पूरब से पुरवाई, जाड़े का अब अन्त हो गया, रुत गर्मी की आई, अम्बुआ की गदराई डालों पर, कोयल है बोली। हुल्लड़ और धमाल मचाने, फिर से आई होली।। हरी बालियों ने गेहूँ की, धारा रूप सलोना, दूर-दूर तक खेतों में, कंचन का बिछा बिछौना, डर लगता है घन जब नभ में, करता आँखमिचौली। हुल्लड़ और धमाल मचाने, फिर से आई होली।। जन-गण-मन की है अभिलाषा, रूठे मिलें गले से, होली लेकर आती आशा, रिश्ते बनें भले से, कल तक जो थे अलग-थलग, वो बन जाएँ हमजोली। हुल्लड़ और धमाल मचाने, फिर से आई होली।। |
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गुरुवार, 17 मार्च 2011
"फिर से आई होली" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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जन-गण-मन की है अभिलाषा, रूठे मिलें गले से,
जवाब देंहटाएंहोली लेकर आती आशा, रिश्ते बनें भले से,
कल तक जो थे अलग-थलग, वो बन जाएँ हमजोली।
हुल्लड़ और धमाल मचाने, फिर से आई होली।
होली पर बहुत सुन्दर और सार्थक गीत
वाह होली की बयार बह चली है.
जवाब देंहटाएंहै मन भाई,
जवाब देंहटाएंफिर से आई।
होली पर बहुत सुन्दर और सार्थक गीत|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी , एक और बेहतरीन रचना के लिए धन्यवाद स्वीकारें ।
जवाब देंहटाएंकल तक जो थे अलग-थलग, वो बन जाएँ हमजोली।
जवाब देंहटाएंहुल्लड़ और धमाल मचाने, फिर से आई होली।।
बेहतरीन होली गीत !
होली पर बहुत सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर अनियमितता होने के कारण आप से माफ़ी चाहता हूँ .
होली की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंवाह वाह …………होली के बहुत ही मनोहारी रंग भर दिये हैं……………बहुत सुन्दर गीत्।
जवाब देंहटाएंrango se sarobar likha hai
जवाब देंहटाएंहैप्पी होली... होली होली...
जवाब देंहटाएंहोली पर बहुत सुन्दर और सार्थक गीत
जवाब देंहटाएंहोली की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं...
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