फिर एक बार मुलाकात अपने साथ करें तुम आसमां के हमें ख्वाब क्यों दिखाते हो ज़मी के लोग हैं हम इस ज़मी की बात करें उजाड़ जंगलों में क्या तलाशने निकले चलो नदी पे नहीं तो नदी की बात करें पिरामिडों में दफ़्न दौलतों को भूलो भी किसी के ग़म की किसी की खुशी की बात करें मुहब्बतों की बात यह जहान भूल गया ये ज़िंदगी है तो ज़िन्दादिली की बात करें कदम-कदम पे नफरतों के अन्धेरे हैं यहाँ वफ़ाशआर किसी रौशनी की बात करें ग़ज़ल का दौर है शैली कोई कलाम पढ़ो इस अंजुमन में क्यों न ताज़गी की बात करें श्रीमती आशा शैली "हिमाचली" |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

पिरामिडों में दफ़्न दौलतों को भूलो भी
जवाब देंहटाएंकिसी के ग़म की किसी की खुशी की बात करें
ग़ज़ल में अलग किस्म के प्रतीक
के इस्तेमाल से अपना कौशल ज़ाहिर कर पाने में
सफलता ले पाने के लिए मुबारकबाद .
वाह - वाह, वाह - वाह... बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा गज़ल!!
जवाब देंहटाएंकदम-कदम पे नफरतों के अन्धेरे हैं यहाँ
जवाब देंहटाएंवफ़ाशआर किसी रौशनी की बात करें
वाह... बहुत खूब
बेहतरीन, बात ताज़गी की हो, नयेपन की हो।
जवाब देंहटाएंbehtreen peshkas .............
जवाब देंहटाएंवाह! बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंgazal bahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर गजल के लिए आशा जी का आभार !
जवाब देंहटाएंआशा जी की सुन्दर गजल पढ़वाने के लिये धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंपिरामिडों में दफ़्न दौलतों को भूलो भी
जवाब देंहटाएंकिसी के ग़म की किसी की खुशी की बात करें
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
.
बहुत खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 29 -03 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
तुम आसमां के हमें ख्वाब क्यों दिखाते हो
जवाब देंहटाएंज़मी के लोग हैं हम इस ज़मी की बात करें
bahut badhiyaa