दोहागीत-समय
व्यर्थ न समय गवाँइए, इससे मुँह मत फेर।
मिट्टी को कंचन करे, नहीं लगाता देर।।
समय पड़े पर गधे को, बाप बनाते लोग।
समय बनाता सब जगह, कुछ संयोग-वियोग।।
समय न करता है दया, जब अपनी पर आय।
ज्ञानी-ध्यानी-बली को, देता धूल चटाय।।
समय अगर अनुकूल है, कायर लगते शेर।
मिट्टी को कंचन करे, नहीं लगाता देर।।
समय-समय की बात है, समय-समय के ढंग।
जग में होते समय के, बहुत निराले ढंग।।
पल-पल में है बदलता, सरल कभी है वक्र।
रुकता-थकता है नहीं, कभी समय का चक्र।।
राजाओं के महल भी, होते देखे ढेर।
मिट्टी को कंचन करे, नहीं लगाता देर।।
गया समय आता नहीं, करनी को कर आज।
मत कर सोच-विचार तू, करले पूरे काज।।
हारा है कर्तव्य से, दुनिया में अधिकार।
श्रम-निष्ठा से ही सदा, बनता है आधार।।
ईश्वर के घर देर है, समझो मत अंधेर।
मिट्टी को कंचन करे, नहीं लगाता देर।।
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शनिवार, 11 अप्रैल 2015
दोहागीत "समय पड़े पर गधे को बाप बनाते लोग" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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समय की महिमा अपरम्पार ,
जवाब देंहटाएंकरे सबका ये बड़ा पार। सुन्दर रचना।
समय की महिमा अपरम्पार ,
जवाब देंहटाएंकरे सबका ये बड़ा पार। सुन्दर रचना।
बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक दोहे..
जवाब देंहटाएंसमय पर सार्थक दोहे .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
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