साँसें धोखा दे
जाती हैं,
साँसों पर विश्वास
न करना।
सपने होते हैं
हरजाई,
सपनों से कुछ आस न
करना।।
जो कर्कश सुर में
चिल्लाते,
उनको काग पुकारा
जाता।
जो खग मधुर गान को
गाते,
उनका स्वर कलरव
कहलाता।
हृदयहीन धनवान
व्यक्ति से,
कभी कोई अरदास न
करना।
सपने होते हैं
हरजाई,
सपनों से कुछ आस न
करना।।
पर्वत की छाती से निकले,
कुछ झरने बन जाते
गंगा।
पाक-साफ वो ही
कहलाते,
जिनका तन-मन होता चंगा।
अपने मन से
जोड़-तोड़कर,
शब्दों का विन्यास
न करना।
सपने होते हैं
हरजाई,
सपनों से कुछ आस न
करना।।
पल-पल जिनके बोल
बदलते,
वो क्या जाने
सुख-दुख सहना।
जो विद्या के बैल
बने हैं,
उनको अध्यापक मत
कहना।
देख जमाने की हालत
को,
मन को कभी उदास न
करना।।
सपने होते हैं
हरजाई,
सपनों से कुछ आस न
करना।।
जब से ज्ञानी मौन
हो गये,
अज्ञानी वाचाल हो
गये।
धनवानों के
बन्दीघर में,
पढ़े-लिखे बदहाल
हो गये।
जनसेवक पर दर पर
जाकर,
सत्य कभी उद् भाष न
करना।
सपने होते हैं
हरजाई,
सपनों से कुछ आस न
करना।।
|
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शुक्रवार, 19 जनवरी 2018
गीत "साँसों पर विश्वास न करना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंदुनियां बदरंग न हो इसलिए सपने देखते हैं सभी लेकिन ये किस्मत की बात है कितने सपने पूरे हो पाते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुन्दर गीत
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