आज मेरे देश को क्या हो गया है?
मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?
पुष्प-कलिकाओं पे भँवरे, रात-दिन
मँडरा रहे,
बागवाँ बनकर लुटेरे, वाटिका
को खा रहे,
सत्य के उपदेश को क्या हो गया है?
मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?
धर्म-मज़हब का हमारे देश में सम्मान है,
जियो-जीने दो, यही
तो कुदरती फरमान है,
आज इस आदेश को क्या हो गया है?
मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?
खोजते दैर-ओ-हरम में राम और रहमान को,
एकदेशी समझते हैं, लोग
अब भगवान को,
धार्मिक सन्देश को क्या हो गया है?
मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?
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जहां कभी रमते थे देव,
जवाब देंहटाएंवहां दानवों का वास हो गया है !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (12-09-2018) को "क्या हो गया है" (चर्चा अंक-3092 ) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (12-09-2018) को "क्या हो गया है" (चर्चा अंक-3092 ) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
blogpaksh.blogspot.com
जवाब देंहटाएंblogpaksh2015.blogspot.com
vaahgurujio.blogspot.com
बड़ा मनोहर यह है गीत :
आज मेरे देश को क्या हो गया है?
मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?
वोट की है भूख बस सबको यहां ,
देश के अंदर के लुटरों के नज़र लगी है देश को, जो बाहर उजले दिखते हैं लेकिन अंदर से उतने ही काले होते हैं
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