कितने ही वट वृक्ष थे, तब भी दल में शेष।
अनुभवहीन-अयोग्य क्यों, फिर बन गया विशेष।।
जन-गण ने युवराज को, बिल्कुल दिया नकार।
इसीलिए तो देश में, बदल गयी सरकार।।
वंशवाद के दंश को, झेल न पाया देश।
बदल सियासत का दिया, जनता ने परिवेश।।
संसद में कमजोर है, अब तो बहुत विपक्ष।
इसीलिए मनमानियाँ, करता सत्तापक्ष।।
रोज-रोज ही बढ़ रहे, अब ईंधन के दाम।
मोदी की मँहगाई पर, कोई नहीं लगाम।।
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शुक्रवार, 7 सितंबर 2018
दोहे "मँहगाई पर कोई नहीं लगाम" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
कितने ही वट वृक्ष थे, तब भी दल में शेष।
जवाब देंहटाएंअनुभवहीन-अयोग्य क्यों, फिर बन गया विशेष।।
जन-गण ने युवराज को, बिल्कुल दिया नकार।
इसीलिए तो देश में, बदल गयी सरकार।।
वंशवाद के दंश को, झेल न पाया देश।
बदल सियासत का दिया, जनता ने परिवेश।।
संसद में कमजोर है, अब तो बहुत विपक्ष।
इसीलिए मनमानियाँ, करता सत्तापक्ष।।
रोज-रोज ही बढ़ रहे, अब ईंधन के दाम।
मोदी की मँहगाई पर, कोई नहीं लगाम।।
बेहतरीन दोहावली शास्त्री जी की एक प्रतिक्रिया इस दोहावली से प्रेरित :
अमरनाथ तेरे धाम पर ,पहुंचे हैं युवराज
गंगे तेरे हाथ अब कांग्रेस की लाज।
veeruji005.blogspot.com
veerubhai1947.blogspot.com
veerijialami.blogspot.com
bahut sundar dohe
जवाब देंहटाएंWaaaaaaaah bahut sundar likha hai aapne badhai
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