त्यौहारों
की धूम मची है,
पर्व
नया-नित आता है।
परम्पराओं-मान्यताओं
की,
हमको
याद दिलाता है।।
उत्सव
हैं उल्लास जगाते,
सूने
मन के उपवन में,
खिल
जाते हैं सुमन बसन्ती,
उर
के उजड़े मधुवन में,
जीवन
जीने की अभिलाषा,
को
फिर से पनपाता है।
परम्पराओं-मान्यताओं
की,
हमको
याद दिलाता है।।
भावनाओं
की फुलवारी में
ममता नेह जगाती है
रिश्तों-नातों
की दुनिया,
साकार-सजग
हो जाती है,
बहना
के हाथों से भाई,
रक्षासूत्र
बँधाता है।
परम्पराओं-मान्यताओं
की,
हमको
याद दिलाता है।।
क्रिसमस, ईद-दिवाली हो,
या
बोधगया बोधित्सव हो,
महावीर
स्वामी, गांधी के,
जन्मदिवस
का उत्सव हो,
एक
रहो और नेक रहो का
शुभसन्देश
सुनाता है।
परम्पराओं-मान्यताओं
की,
हमको
याद दिलाता है।।
|
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शुक्रवार, 21 सितंबर 2018
गीत "एक रहो और नेक रहो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सावधान गठबंधन से ,ये ठगबंधन कहलाता है।
जवाब देंहटाएंvaahgurujio.blogspot.com
गर लौकिक संसार में, चमकाना हो रूप।
जवाब देंहटाएंग़ज़ल गायकी छोड़कर, गाओ भजन अनूप।।
साँच कहूँ सुन लेओ सभै ,
जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभ पायो।
इश्क की उम्र नहीं होती है ,
ये वो नगमा है जो बाद -ए -मरग भी गाया जाता।
vaahgurujio.blogspot.com
सुंदर दोहावली शास्त्री जी की ,आरती श्री पिलोटा जी की।
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं