"गंगा-स्नान" आज कार्तिक पूर्णिमा का दिन है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का प्रचलन पौराणिक-काल से ही हमारे देश में चला आ रहा है। अतः परम्परा का निर्वहन करने के लिए हम भी "माँ पूर्णागिरि" के पद पखार रही शारदी नदी के किनारे जा पहुँचे। यह पावन स्थल था- "बूम"। जो उत्तराखण्ड के चम्पावत जिले में टनकपुर से 12 किमी दूर पहाड़ों के ठीक नीचे है। चित्र में दिखाई दे रहे पर्वत की चोटी पर सती-माता "माँ पूर्णागिरि" का निवास है और उसके ठीक नीचे पावन शारदा नदी की जल-धारा कल-कल निनाद करती हुई श्रद्धालुओं को पवित्र स्नान का निमन्त्रण दे रही है। यहाँ भगवान के प्रिय फल "बेल" के पेड़ों के मध्य हमलोगों ने भी दो-तीन बेड-शीट बिछा कर अपना आसन जमा दिया। इसके बाद पावन जल में डुबकी लगाने के लिए पावन शारदा नदी की ओर प्रस्थान किया। महिलाओं ने तीन पत्थरों का चूल्हा बनाया और खिचड़ी बनानी शुरू कर दी। इसके बाद सबने बैठकर बड़े प्रेम से खिचड़ी खाई। दही, अचार-चटनी और सिरके वाली मूली के साथ खिचड़ी में छप्पन-भोग का जैसा परमानन्द प्राप्त हुआ। इसके बाद मजेदार घर-परिवार की बातें हुईं और इन बेल के पेड़ों की शीतल छाया में एक घण्टा विश्राम किया गया। अब पिकनिक पूरी हो गई थी और घर वापिस आने की भी जल्दी थी क्योंकि ब्लॉगिंग की तलब लग रही थी। लौटते हुए चकरपुर के घने जंगलों मे स्थित "श्री वनखण्डी महादेव" के मन्दिर मे जाकर भोले बाबा के दर्शन किये। शिवरात्रि की रात को यहाँ पर स्थित शिुवलिंग सात बार अपना रंग बदलता है। जिसकी चर्चा किसी और दिन अलग से पोस्ट लगाकर करूँगा। |
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मंगलवार, 8 नवंबर 2022
संस्मरण "शारदा के तट पर तीन पत्थरों का चूल्हा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शारदा नदी के पवित्र जल में स्नान-लाभ प्राप्त करने के लिए बधाई प्रिय शास्त्री जी! बहुत इच्छा है कि कभी उत्तराखण्ड की यात्रा हम भी कर सकें। जब प्रभु की इच्छा होगी तब ही संभव हो सकेगा यह तो, किन्तु आपने इस पुण्य-नदी के दर्शन करा दिए, तदर्थ आभार आपका!
जवाब देंहटाएंमेरे निवास पर आपका स्वागत है आदरणीय गजेन्द्र भट्ट "हृगदयेश" जी।
हटाएंमेरा सम्पर्क नम्बर है 7906360576
वाह! शारदा के तट पर प्रकृति के सान्निध्य में स्वजनों के साथ पिकनिक का सुंदर आयोजन !
जवाब देंहटाएंअहा! आनन्दायक क्षण।
जवाब देंहटाएंप्रकृति की गोद पवित्र सरिता का स्नान और स्वजनों संग शानदार पिकनिक।
सब कुछ आनंददायक।