-- सच्चाई में बल होता है, झूठ पकड़ में है आ जाता। नाज़ुक शाखों पर जो चढ़ता, वो जीवनभर है पछताता। -- समझदार को मीत बनाओ, नादानों को मुँह न लगाओ। बैरी दानिशमन्द भला है, राज़ न अपना उसे बताओ। आसमान पर उड़नेवाला, औंधे मुँह धरती पर आता। नाज़ुक शाखों पर जो चढ़ता, वो जीवनभर है पछताता। -- उससे ही सम्बन्ध बढ़ाओ, प्रीत-रीत को जो पहचाने। गिले भुलाकर गले लगाओ, धर्म मित्रता का जो जाने। मन के सागर में पलता है, वफा-जफा का रिश्ता-नाता। नाज़ुक शाखों पर जो चढ़ता, वो जीवनभर है पछताता। -- शक्ल सलोनी, चाल घिनौनी, मुख में राम, बगल में चाकू। धर्म-गुरू का रूप बनाए, लूट रहे जनता को डाकू। मूषक का मन भरमाने को, हर बिल्ला नाखून छिपाता। नाज़ुक शाखों पर जो चढ़ता, वो जीवनभर है पछताता। -- |
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बुधवार, 3 मई 2023
गीत "हर बिल्ला नाखून छिपाता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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