-- आज
मित्रता-दिवस पर, रखना इतना याद। नहीं
मित्र के साथ में, करना कभी विवाद।। -- सौ-सौ
बार विचारिए, क्या होता है मित्र। खूब
जाँचिए-परखिए, उसका चित्त-चरित्र।। -- हम तो
प्रतिदिन माँगते, दुनियाभर की खैर। अमन-चैन
से सब रहें, अपने हों या गैर।। -- जहाँ
एक दिन मित्रता, बाकी दिन हो बैर। उस पथ
में तो भूलकर, कभी न रखना पैर। -- मतलब
की अब मित्रता, मतलब का सब प्यार। मतलब
से ही कर रहे, लोग प्यार-मनुहार।। -- हँसी-खेल
मत समझिए, दुनिया बड़ी विचित्र। जीवन
में है मित्रता, पावन और पवित्र।। -- जिसको
अपना कह दिया, वो जीवनभर मीत। सच्ची
होनी चाहिए, दिल में उपजी प्रीत।। -- उनसे
कैसी मित्रता, जो करते हैं घात। ऐसे
लोगों से बचो, जो करते उत्पात।। -- करते
मुख के सामने, मीठी-मीठी बात। होता
नहीं कुतर्क से, कोई भी विख्यात।। -- मनवाना
जो चाहता, जबरन अपनी
बात। वो
दुर्जन करता सदा, सज्जन पर आघात।। -- दुष्ट
नहीं माने कभी, धर्म-कर्म उपदेश। उलटे
लगते हैं उसे, उपयोगी सन्देश।। -- बिना
विचारे जो करे, वाणी का संधान। वो
मानव के रूप में, होता है हैवान।। -- |
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रविवार, 4 अगस्त 2024
दोहे "मित्रता-दिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर । मित्रता दिवस पर बधाई।
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