बीत गया सावन सखे, आया भादौ मास। श्री कृष्ण जन्माष्टमी, है बिल्कुल अब पास।। दोपायो से हो रहे, चौपाये भयभीत। मिल पायेगा फिर कहाँ, दूध-दही नवनीत।। जब आयेंगे देश में, कृष्णचन्द्र गोपाल। आशा है गोवंश का, तब सुधरेगा हाल।। हाथ थाम कर अनुज का, जब चलते बलराम। धरा और आकाश में, मानो हों घनश्याम।। जल थल में क्रीड़ा करें, बालक जब नन्दलाल। नृत्य करेंगी गोपियाँ, ग्वाले देंगे ताल।। फल की इच्छा मत करो, कर्म करो निष्काम। कण्टक वृक्ष खजूर पर, कभी न लगते आम।। जन, गण, मन में रम रहे, कृष्णचन्द्र अधिराज। गीता अमृतपान से, बनते बिगड़े काज।। |
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शुक्रवार, 23 अगस्त 2024
दोहे "बालक जब नन्दलाल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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