महावृक्ष है यह सेमल का, खिली हुई है डाली-डाली। हरे-हरे फूलों के मुँह पर, छाई है बसन्त की लाली।। पाई है कुन्दन कुसुमों ने कुमुद-कमलिनी जैसी काया। सबसे पहले धरती पर आकर इसने ऋतुराज सजाया।। सर्दी के कारण जब तन में, शीत-वात का रोग सताता। सेमलडोढे की सब्जी से, दर्द अंग का है मिट जाता।। जब बसन्त पर यौवन आता, तब ये खुल कर मुस्काते हैं। भँवरे इनको देख-देखकर, मन में हर्षित हो जाते हैं।। सुमन लगे हैं अब मुर्झाने, वासन्ती अवसान हो रहा। तब इन पर फलियाँ-फल आये, लम्बा दिन का मान हो रहा।। गर्मी का मौसम आते ही, चटक उठीं सेंमल की फलियाँ। रूई उड़ने लगी गगन में, फूलो-फलो और मुस्काओ, सीख यही देता है सेंमल। तन से रहो सुडोल हमेशा, किन्तु बनाओ मन को कोमल।। |
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सेमल के वृक्ष , फूल और फल से बहुत अच्छी प्रेरणा देती रचना ..मन की कोमलता रुई जैसी हो ...अद्भुत विचार ...
जवाब देंहटाएंफूलो-फलो और मुस्काओ,
जवाब देंहटाएंसीख यही देता है सेंमल।
तन से रहो सुडोल हमेशा,
किन्तु बनाओ मन को कोमल।।
Bahut sundar !
फूलो-फलो और मुस्काओ,
जवाब देंहटाएंसीख यही देता है सेंमल।
तन से रहो सुडोल हमेशा,
किन्तु बनाओ मन को कोमल।।
वाह! अति उत्तम सीख देती बेहद शानदार रचना बहुत पसन्द आयी और साथ मे लगाये चित्र भी बेहद आकर्षक हैं।
आद. शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंफूलो-फलो और मुस्काओ,
सीख यही देता है सेंमल।
तन से रहो सुडोल हमेशा,
किन्तु बनाओ मन को कोमल।
हमेशा की तरह जीवन्तता से भरी हुई प्रवाह और प्रभाव से पूर्ण सुन्दर सीख देती हुई रचना !
शानदार शानदार शानदार शानदार रचना
जवाब देंहटाएंवाह सेमल वृक्ष को लेकर जीवन की सीख दे डाली आपने, बहुत ही सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बेहद खूब सुरत कविता और उससे भी खुबसुरत सेमल के जीवन का चित्रों द्वारा चित्रण --बधाई शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंachchhi seekh deti rachna..:)
जवाब देंहटाएंdhanyawad sir!!
बहुत सुंदर। जवाब नहीं॥
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद सेमल का चित्र दिखा... धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुब सुरत रचना जी.
जवाब देंहटाएंप्रेरणा देती बेहद शानदार रचना ...बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक सुंदर तस्वीरों के साथ अपनी बात कहती सुंदर रचना -
जवाब देंहटाएंकोमल भावों से परिपूर्ण बहुत सुन्दर रचना है |
जवाब देंहटाएंआशा
♥ बहुत सजीव चित्रण! ♥
जवाब देंहटाएंफूलो-फलो और मुस्काओ,
जवाब देंहटाएंसीख यही देता है सेंमल।
तन से रहो सुडोल हमेशा,
किन्तु बनाओ मन को कोमल।
प्रेरणा देती बेहद शानदार रचना .
वासंती सौंदर्य से पगी सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई।
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