पतझड़ के पश्चात वृक्ष नव पल्लव को पा जाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। भीषण सर्दी, गर्मी का सन्देशा लेकर आती , गर्मी आकर वर्षाऋतु को आमन्त्रण भिजवाती, सजा-धजा ऋतुराज प्रेम के अंकुर को उपजाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। खेतों में गेहूँ-सरसों का सुन्दर बिछा गलीचा, सुमनों की आभा-शोभा से पुलकित हुआ बगीचा, गुन-गुन करके भँवरा कलियों को गुंजार सुनाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। पेड़ नीम का आगँन में अब फिर से है गदराया, आम और जामुन की शाखाओं पर बौर समाया. कोकिल भी मस्ती में भरकर पंचम सुर में गाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। परिणय और प्रणय की सरगम गूँज रहीं घाटी में, चन्दन की सोंधी सुगन्ध आती अपनी माटी में, भुवन भास्कर स्वर्णिम किरणें धरती पर फैलाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। |
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सोमवार, 28 फ़रवरी 2011
"नया निर्माण सामने आता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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नव सृजन का सुन्दर स्वागत....बेहतरीन कविता..बधाई.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअच्छे भाव समेटे बढ़िया रचना .
जवाब देंहटाएंयूपी खबर
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बहुत ही सुंदर स्वागत गीत....सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंविध्वंस के बाद ही नव-नीर्माण सामने आता । अच्छा संदेश. आभार...
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रों के साथ संदेशपरक काव्य!
जवाब देंहटाएंनयी कोपलों के फलने का समय।
जवाब देंहटाएंआपने भी आज नव सृजन पर लगाई है और मैने भी…………ये तो कमाल हो गया……………बेहद खूबसूरत और प्रेरक रचना है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना के साथ फोटो भी खूब मैच कर रहे है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर स्वागत गीत और तस्वीरें भी
जवाब देंहटाएंचहुं और जीन नव पल्वलवित हो रहा है. सुंदर चित्रों के साथ सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंhar vidhvans navnirman ka srijak hai...bahut khoob rachana..
जवाब देंहटाएंविध्वंश के बाद ही नवनिर्माण होता है..बहुत सार्थक रचना..बहुत सुन्दर चित्रों से सजी हुई ..
जवाब देंहटाएंपुराने पर ही नये की रचना होती है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव विचार युक्त कविता है |
जवाब देंहटाएंजीवन का अनमोल सत्य उजागर करती कविता!!
जवाब देंहटाएंkhoobsurat chitran ke saath mohak geet!
जवाब देंहटाएंनव निर्माण व नव सृजन का संदेश देती प्रेरक कविता। आभार।
जवाब देंहटाएंनव सृजन की बहुत ही सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत है.गीत का मुखड़ा बहुत प्यारा है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत व पूरक चित्र...
जवाब देंहटाएंविध्वंसों के बाद ही नवनिर्माण सामने आता है तो बेशकीमती हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंमनमोहक चित्रों के साथ सुन्दर कविता !
नव सृजन का बहुत ही सुंदर स्वागत किया है आपने ... अप्पके द्वारा लगे गयी तसवीरें रचना को और निखारतीं हैं ... शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसन्देश परक और सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंपढ़कर सच में उदास मन भी हरा हो गया....
कुछ पहले तक सोचा रहा था कि "..क्या लिखूं कोई बात बाकी नहीं...", और आपको पढ़ने के बाद दिल कह रहा है ''... सोचता हूँ क्या लिखूं, अब इतनी सारी बातें हैं.... "
ऊर्जा से लबालब..और सुंदर चित्र..!!
जवाब देंहटाएंबड़ा सुन्दर देशभक्तिपूर्ण गीत है । आप की पत्नी का स्वर तो नहीं सुना पर यह जान कर ख़ुशी हुई कि वे गाती हैं ।
जवाब देंहटाएंआप दोनों सुरुचि सम्पन्न दम्पति हैं । आप सफल गीतकार भी हैं , यह गीत इस का प़माण है । बधाई आप दोनों को ।
जवाब देंहटाएंऋतू परिवर्तन का साक्षात् दर्शन करता सुंदर और मनभावन गीत ,लाज़बाब सृजन सर ,सादर नमन आपको और आपकी लेखनी को
हर बसंत काल के लिए सामायिक और सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएं