लौकी होती गुणकारी है। बीमारी इससे हारी है।। रोज हाट से लौकी लाओ। छीलो-काटो और पकाओ।। सब्ज़ी या रायता बनाओ। रोटी-पूड़ी के संग खाओ।। चाहे इसका जूस निकालो। थोड़ा काला नमक मिलालो।। रोज सवेरे यह रस पी लो। आनन्दित हो जीवन जी लो।। यह रसायन हितकारी है। इसीलिए लौकी प्यारी है।। |
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मंगलवार, 6 दिसंबर 2011
"रोज हाट से लौकी लाओ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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सच में गुणकारी है लौकी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लौकी का बखान,
जवाब देंहटाएंदेता हुआ मरीजो को ज्ञान
दिल की बीमारी से बचाता है जान
सभी लोग मान ले लौकी का अहसान,..
ज्ञानवर्धक बेहतरीन पोस्ट ..............
मेरे नए पोस्ट में आपका इंतजार है,..
बढ़िया कविता!
जवाब देंहटाएं--
मयंक जी की लेखनी से
कोई विषय अछूता नहीं रहेगा!
बिल्कुल सच। क्या कहूं बच्चे लौकी से ऐसा भागते हैं कि फिर बनाने का मन ही नहीं होता।
जवाब देंहटाएंवैसे लौकी गुणकारी है, इसमें कोई दो राय हो ही नहीं सकता।
कविता बच्चों पढवाता हूं, शायद लौकी लाने की कुछ छूट मिल जाए।
बहुत सुंदर पंक्तियां
bahut acchi gyanvardhak kavita..
जवाब देंहटाएंलौकी की खासियत का सुंदर ढंग से वर्णन।
जवाब देंहटाएंlauki bahut pasand hai mujhe gurujii
जवाब देंहटाएंहितकारी लौकी तो जब भी हाट जाते हैं,
जवाब देंहटाएंहम ज़रूर से लाते हैं।
लौकी का हलुवा भी बहुत स्वादिष्ट होता है।
जवाब देंहटाएंगुणकारी है लौकी ...
जवाब देंहटाएंअरे वाह लौकी कितनी अच्छी है...सुन्दर कविता ..
जवाब देंहटाएंवाह लौकी के अनेक फायदे ...!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंआजकल कुछ 'लौकियाँ ' अपना मौलिक गुण छोड़ "कड़वे" गुण को प्राप्त कर रही हैं - ठीक 'नेताओं' की तरह - ठीक से परखना पढ़ेगा.
जवाब देंहटाएंआजकल कुछ 'लौकियाँ ' अपना मौलिक गुण छोड़ "कड़वे" गुण को प्राप्त कर रही हैं - ठीक 'नेताओं' की तरह - ठीक से परखना पढ़ेगा.
जवाब देंहटाएंआजकल कुछ ' लौकियाँ ' अपना मौलिक गुण छोड़ कर 'कड़वे' गुण को प्राप्त हो रही हैं - ठीक कुछ 'नेताओं' की तरह. परखना पड़ेगा.
जवाब देंहटाएंआजकल कुछ ' लौकियाँ ' अपना मौलिक गुण छोड़ कर 'कड़वे' गुण को प्राप्त हो रही हैं - ठीक कुछ 'नेताओं' की तरह. परखना पड़ेगा.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसादर...