चाँद और तारों की बातें, मन के उद्गारों की बातें, कितनी अच्छी लगती हैं! उत्सव-त्यौहारों की बातें, मोहक उपहारों की बातें, कितनी अच्छी लगती हैं! यौवन शृंगारों की बाते, उन्नत बाज़ारों की बातें, कितनी अच्छी लगती हैं! अपने अधिकारों की बातें, स्वप्निल संसारों की बातें, कितनी अच्छी लगती हैं! सुख के उजियारों की बातें, भोले बंजारों की बातें, कितनी अच्छी लगती हैं! चहके परिवारों की बातें, महके गलियारों की बातें, कितनी अच्छी लगती हैं! बढ़ते आधारों की बातें, भरते भण्डारों की बातें, कितनी अच्छी लगती हैं! |
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गुरुवार, 22 दिसंबर 2011
"चाँद और तारों की बातें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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चहके परिवारों की बातें,
जवाब देंहटाएंमहके गलियारों की बातें,
कितनी अच्छी लगती हैं!
सुन्दर गीत ।
सर्दियों में ये बातें और भी अच्छी लगती हैं।
रोज निकलता चाँद और रोज होती बातें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सर...
जवाब देंहटाएंकविता में कही मीठी और सुलभ बातें..बहुत अच्छी लगती हैं...
सादर.
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
अपने अधिकारों की बातें,
जवाब देंहटाएंस्वप्निल संसारों की बातें,
कितनी अच्छी लगती हैं!
सच: बहुत अच्छी लगती है ....
बहुत सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट काव्यान्जलि ...: महत्व .....में click करे
बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना संसार आपका ....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंकुछ बातें हमेशा अच्छी लगती है ...बहुत ही सुंदर गीत।
जवाब देंहटाएंआपकी रचना भी हमेशा अच्छी लगती है...
जवाब देंहटाएंसुह्दर रचना.
जवाब देंहटाएंसबको अच्छी लगती है.
बहुत सुन्दर शब्द..मेरे ब्लॉग कलमदान.ब्लागस्पाट.कॉम पर भी पधारें..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना!
जवाब देंहटाएंbahut achchi lagti hain yeh sab baaten bahut sundar kavita.
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंBade achche lagte hei.....waah!
जवाब देंहटाएंSACHMUCH ACHHI LAGTI HAI KUCH BATEN,AAPKI RACHNA BHI BADI ACHHI LAGI. BADHAIE
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.....
जवाब देंहटाएंhaan in sab ke sath sath
जवाब देंहटाएंapki pyari ye rachnaye
aur
hamari rachnao ki charcha
charcha manch pe bhi
bahuuuuuuuut pyari lagti hain.
ha.ha.ha.
सुख के उजियारों की बातें,
जवाब देंहटाएंभोले बंजारों की बातें,
कितनी अच्छी लगती हैं!
वाकई अच्छी लगती हैं
सच में बहुत अच्छी लगती हैं...
जवाब देंहटाएंअपने अधिकारों की बातें,
स्वप्निल संसारों की बातें,
कितनी अच्छी लगती हैं!
सुन्दर रचना, बधाई.
aapki sabhi post jivant hati haen .jivan ke prati sakaaratmak soch ko bdhava deti hui aabhar.
जवाब देंहटाएंचहके परिवारों की बातें,
जवाब देंहटाएंमहके गलियारों की बातें,
कितनी अच्छी लगती हैं!
वाकई !
bade achhey lagte hain!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-737:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
चहके परिवारों की बातें,
जवाब देंहटाएंमहके गलियारों की बातें,
कितनी अच्छी लगती हैं!
सुन्दर गीत सर...
सादर.
ye sab acche lagate hai or accha lagata hai aapke blog par aana....
जवाब देंहटाएंअपने अधिकारों की बातें,
जवाब देंहटाएंस्वप्निल संसारों की बातें,
कितनी अच्छी लगती हैं...
baal geet ho ya kee ghazal ho
mohak shabdon se jab banti tasweer
dil kahta hai jhumjhum ke
kitni acchi lagti hai,,,,,,,,,,,,sadar badhayee ke sath
नन्हीं पंक्तियों की रचना बहुत ही प्यारी लगी.
जवाब देंहटाएंरूप ओ रुखसारों की बातें
गुल ओ गुलजारों की बातें
कितनी अच्छी लगती हैं
सुंदर भाव ...बातें तो अच्छी लगतीं ही हैं ...
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत शब्दों से सुसज्जित उम्दा रचना के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
आपकी रचनाएं बहुत अच्छी लगती हैं।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएं बहुत अच्छी लगती हैं।
जवाब देंहटाएंभई वाह! गज़ब
जवाब देंहटाएंबस
कस्म गोया तेरी खायी न गयी
बहार हो कि खिज़ां मुस्कुराए जाते हैं,
जवाब देंहटाएंहयात हम तेरा एहसाँ उठाए जाते हैं |
सुलगती रेत हो बारिश हो या हवाएं हों,
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तुम्हारे सामने हम मुस्कुराए जाते हैं |
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