हम चन्दा की क्या बात कहें, सूरज को भी तम ने घेरा। आशाओं के गुलशन में अब, कुण्ठाओं ने डाला डेरा।। गंगा-यमुना, बोली-भाषा, सबकी बदली हैं परिभाषा, दूषित है वातावरण आज, लाचार हुआ सारा समाज, रब का बँटवारा कर कहते, वो है तेरा, ये है मेरा। आशाओं के गुलशन में अब, कुण्ठाओं ने डाला डेरा।। ममता में स्वार्थ समाया है, दुनिया में सब कुछ माया है, मन में कोरा छल-कपट भरा, भाई-चारे में प्यार मरा, मर्यादाओं के उपवन में, आवारा भँवरों का फेरा। आशाओं के गुलशन में अब, कुण्ठाओं ने डाला डेरा।। तितली-मधुमक्खी आती हैं, लेकिन हताश हो जाती हैं, अब गन्ध नहीं सुमनों में है, हरियाली नहीं वनों में है, गुरू ज्ञान किसे दें बतलाओ, है कोई नहीं यहाँ चेरा। आशाओं के गुलशन में अब, कुण्ठाओं ने डाला डेरा।। |
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शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011
"कुण्ठाओं ने डाला डेरा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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राह एक निकलेगी फिर भी..
जवाब देंहटाएंvaah ..bahut khoob likha hai.kabhi na kabhi sooraj is tam se baahar niklega.
जवाब देंहटाएंक्या कहने, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंतितली-मधुमक्खी आती हैं,
जवाब देंहटाएंलेकिन हताश हो जाती हैं,
अब गन्ध नहीं सुमनों में है,
हरियाली नहीं वनों में है,
गुरू ज्ञान किसे दें बतलाओ,
है कोई नहीं यहाँ चेरा।
आशाओं के गुलशन में अब,
कुण्ठाओं ने डाला डेरा।।
बात तो सही है मगर नर हो ना निराश मन मे ………क्योंकि अन्धियारे की कोख से ही रौशनी क जन्म होता है।
बहुत खूब ,
जवाब देंहटाएंलेकिन कुंठाओं को दूर भागना है, आशा ही जीवन है.
वर्तमान परिदृश्य पर गहन चिंतन.चिंतन से राह भी निकलेगी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रभावी रचना ,......
जवाब देंहटाएंचहुँ ओर निराशा का ही वातावरण है.
जवाब देंहटाएंआशाओं के गुलशन में अब,
जवाब देंहटाएंकुण्ठाओं ने डाला डेरा।
ये कुंठा अच्छे से अच्छी प्रतिभा को खा जाती है.
सुन्दर अभिव्यक्ति.
दुनिया में सब कुछ माया है,मन में कोरा छल-कपट भरा,भाई-चारे में प्यार मरा,मर्यादाओं के उपवन में,आवारा भँवरों का फेरा।आशाओं के गुलशन में अब,कुण्ठाओं ने डाला डेरा।।
जवाब देंहटाएंBahut khoob !
ek ek alfaz saccha ...gaherai bhara ..shandar rachana
जवाब देंहटाएंप्रभावी विचार ...
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंgreat expression..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रभावी रचना ,......
जवाब देंहटाएंbehad achhi kavita ...........yakeenan kunthayen jivan ki abhishapta kar deti haen
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...इन कुंठाओं से निकलना भी तो ज़रूरी है..आभार
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली रचना...
जवाब देंहटाएंसादर...
अर्थ पूर्ण सांगीतिक रचना .प्रश्न पूछती .
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar or prabhavi rachana hai..
जवाब देंहटाएं