आ गई हैं सर्दियाँ मस्ताइए। बैठकर के धूप में सुस्ताइए।। पर्वतों पर नगमगी चादर बिछी. बर्फबारी देखने को जाइए। बैठकर के धूप में सुस्ताइए।। रोज दादा जी जलाते हैं अलाव, गर्म पानी से हमेशा न्हाइए। बैठकर के धूप में सुस्ताइए।। रात लम्वी, दिन हुए छोटे बहुत, अब रजाई तानकर सो जाइए। बैठकर के धूप में सुस्ताइए।। खूब खाओ सब हजम हो जाएगा, शकरकन्दी भूनकर के खाइए। बैठकर के धूप में सुस्ताइए।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 12 दिसंबर 2011
"बर्फबारी देखने को जाइए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
ठंड में निमंत्रण और वो भी बर्फबारी देखने जाना...क्या बात है...अभी तो ठंड ज्यादा नहीं है पर अभी से डर लगने लगा....बहुत ही सुंदर लिखा है आपने...आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सामयिक रचना!
जवाब देंहटाएंजबलपुर में तो आज शाम से ठण्ड अचानक ही बढ़ गई.ऐसे में आपकी कविता पढ़कर मजा आ गया.
जवाब देंहटाएंशस्त्री जी, ठण्ड का कुछ अलग आनंद,..सुंदर
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना,....
नेता,चोर,और तनखैया, सियासती भगवांन हो गए
अमरशहीद मात्रभूमि के, गुमनामी में आज खो गए,
भूलसे हमने शासन देडाला, सरे आम दु:शाशन को
हर चौराहा चीर हरन है, व्याकुल जनता राशन को,
बर्फ की ठंडक में पर्यटन की गर्मी।
जवाब देंहटाएंठंड का अहसास कराती रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...... हमारे यहाँ आधे साल बर्फबारी ही है .......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी कवितायें तो माहौल को सामने ला देती हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंye drashya kahaan ka hai guru jee?
जवाब देंहटाएंबर्फबारी का मज़ा औरों को लेने दीजिए। हम तो रजाई में ही ठीक हैं!
जवाब देंहटाएंइस महीने के आखिर में योजना बना रहे हैं हम कहीं निकलने की।
जवाब देंहटाएंकाश ऐसे बर्फबारी में मैं भी यहां मौजूद रहता..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
बहुत सुन्दर रचना! सर्दी का एहसास देती हुई पर शास्त्री जी पर्थ में तो अभी गर्मी है और सर्दी पड़ने में अभी काफी देर है!
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
बहुत खूबसूरत अंदाज़ ऐ बयां |
जवाब देंहटाएंटिप्स हिंदी में
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंउ उ उ बहुत ठण्ड है यहाँ तो.
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति सर...
जवाब देंहटाएंसादर...