रिश्तों-नातों को ठुकरा कर, पंछी इक दिन उड़ जाता है।। जब धड़कन रुकने लगती है, उच्चारण भी थम जाता है।। लाख लगाओ कितने पहरे, सब सम्बन्ध धरे रह जाते। जलप्लावन के साथ-साथ ही, सब अनुबन्ध यहाँ बह जाते। आवा-जाही के नियमों से, कोई बशर न बच पाता है। जब धड़कन रुकने लगती है, उच्चारण भी थम जाता है।। वक्त सदा बलवान रहा है, रह जाते हैं कोरे वादे। धूल-धूसरित हो जाते हैं, सब मंसूबे और इरादे। शव को सीढ़ी पर ले जाकर, बेटा चिता जला आता हैं। जब धड़कन रुकने लगती है, उच्चारण भी थम जाता है।। जीवन चला-चली का मेला, थोडे ही दिन का है खेला। कोई साथ न दे पाता है, जाना पड़ता फ़कत अकेला। चिड़ियाघर में आकर प्राणी, दुनिया का मन बहलाता है। जब धड़कन रुकने लगती है, उच्चारण भी थम जाता है।। |
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शनिवार, 17 दिसंबर 2011
"उच्चारण भी थम जाता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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यही शाश्वत सत्य है।
जवाब देंहटाएंSaty kaha hai.
जवाब देंहटाएंदुनिया है, आना जाना है,
जवाब देंहटाएंबस सबका साथ निभाना है।
जब धड़कन रुकने लगती है,
जवाब देंहटाएंउच्चारण भी थम जाता है.....एक कडुआ सच
यह अमर सत्य जग की रीति
जवाब देंहटाएंपर कौन समझ इसे पाता है.
रोते रोते ही आता है और
रोते रोते ही चला जाता है.
जीवन यात्रा का अंतिम सत्य यही है.
जवाब देंहटाएंजीवन की यात्रा का अंतिम पड़ाव ... सत्य को कहती अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंजीवन का कटु पर शास्वत सत्य...
जवाब देंहटाएंआज तो अंतिम सत्य से रू-ब-रू करा रहे हैं आप!
जवाब देंहटाएंसच तो यही है,..जीवन का अंतिम पड़ाव मृत्यु है
जवाब देंहटाएंये इंसान को नहीं भूलना चाहिए,....मेरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
जीवन की सच्चाई....
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंचिड़ियाघर में आकर प्राणी,
जवाब देंहटाएंदुनिया का मन बहलाता है।
रिश्तों-नातों को ठुकरा कर, पंछी इक दिन उड़ जाता है।।साँसे जब पूरी हो जातीं, उच्चारण भी थम जाता है .चिठ्ठा गर एक दिन जाता है .बहुत अच्छी रचना .बधाई .
jivan ke satya se parichit karati shandar rachcna
जवाब देंहटाएंशास्वत की काव्यात्मक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना सर..
सादर...
आपने बिल्कुल सही कहा है ! सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंयही तो जीवन का सत्य है ।आने का पता नहीं पर जाना तो अवश्य है ।हमेशा की तरह -बेहतरीन रचना ।
जवाब देंहटाएंकटु सत्य है शास्त्रीजी , मगर उच्चारण को अभी लंबा सफ़र तय करना है !
जवाब देंहटाएंyahi jeevan ki antim sachchaai hai.sab kuch yahi dhara rah jaata hai kintu fir bhi na jaane yeh tera mera chalta rahta hai.
जवाब देंहटाएंbahut prabhaavshaali likha hai.
जब धड़कन रुकने लगती है,
जवाब देंहटाएंउच्चारण भी थम जाता है
कटु सत्य की सहज प्रस्तुति!
marmsparshi rachna!
जवाब देंहटाएंआज ऐसा वर्णन क्यों?
जवाब देंहटाएं