खटीमा।
साहित्य शारदा मंच खटीमा द्वारा आयोजित राष्ट्रीय दोहाकार सम्मेलन का आयोजन
लोहियाहेड रोड़ स्थित रंगोली मण्डप में किया गया। जिसमें देशभर के 25 साहित्यकारों
ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शैलसूत्र पत्रिका सम्पादिका आशा शैली
ने किया वहीं। मुख्य अतिथि के रुप में उत्तराखण्ड मुक्त विष्वविद्यालय के निदेशक
प्रो. गोविन्द सिंह मौजूद रहे।
कार्यक्रम
का शुभारम्भ श्रीभगवान मिश्र के द्वारा गाए सरस्वती वन्दना से हुआ जबकि नोजगे
पब्लिक स्कूल (हैप्पी) की छात्राओं ने स्वागत गीत तथा आंचलिक लोकगीत एवं क्षेत्र
के सुप्रसिद्ध संगीतकार नरसिंह कुंवर ने बांसुरी वादन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम
के विशिष्ट अतिथि खटीमा फाइबर्स के प्रबन्ध निदेशक डाॅ. आर.सी.रस्तोगी, श्री अशोक खुराना, अचल शर्मा, राकेश सक्सेना
तथा.सुरेन्द्र कौर थे।
इस
अवसर पर संस्था के अध्यक्ष डाॅ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ की पुस्तक कदम-कदम पर घास
तथा खिली रूप की धूप दोहा संग्रह का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम
का संचालन संस्था के महासचिव डाॅ. महेन्द्र प्रताप पाण्डेय ‘नन्द’ ने किया।
राष्ट्रीय
दोहाकार सम्मान में दयाशंकर कुशवाहा, डाॅ. विश्वनाथ प्रसाद पाण्डेय, आशा शैली, शिवशंकर
यजुर्वेदी, राकेश
चक्र को साहित्य श्री, राकेश
कुमार सक्सेना, रेखा
लोढ़ा ‘स्मित’, देवेन्द्र
चैहान, मनोज
शर्मा, नवनीत
राय ‘रुचिर’, महेश
मनमीत, विनोद
भृंग, अमन
चाँदपुरी, हरि
फैजाबादी, रामेश्वर
प्रसाद सारस्वत को दोहा शिरोमणि सम्मान, श्रीभगवान मिश्र को शौर्य श्री सम्मान एवं अमन अग्रवाल ‘मारवाड़ी’ को ब्लाॅग श्री सम्मान से
शाॅल ओढ़ाकर सम्मान पत्र सहित सम्मानित किया गया।
उत्तराखण्ड
मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी नैनीताल के प्रो. डाॅ. गोविन्द सिंह को अभिनन्दन
पत्र से सम्मानित किया गया।
मुख्य
अतिथि ने अपने वक्तव्य में रहीम, कबीर, बिहारी
की परम्परा का अनुसरण करने पर खुशी व्यक्त की और साहित्यकारों को समाज सुधारक
कहा।
कार्यक्रम
के द्वितीय सत्र में समारोह में आए दोहाकारों ने अपनी रचनाए प्रस्तुत कर समा बाँध दिया।
जिसमें
मुख्य रचनाएं निम्न थी-
1. कृपा
करो माँ शारदे, दो
विद्या का दान
- मनोज शर्मा (लखनऊ)
2. होली
आयी रे सखी, चलो
ब्रज की ओर
- आषा शैली (लालकुँआ)
3. यमुना
साँसे गिन रही, सिसक
रही है गंग
- डाॅ. रमेश्वर प्रसाद सारस्वत
4. नल
सूखे बिजली नहीं, सड़के
पड़ी उदास
- विनोद भृंग
5. नीति
दिखे जिनमें नही, नेता
वह कहलाय
- डाॅ. विष्वनाथ प्रसाद पाण्डेय ‘जगत’
6. जाति
धर्म भाषा चलन, जग में
भले अनेक
- डाॅ. हरि फैजाबादी
7. प्यास
बुझाानी है अगर, जा
नदियां के पास
- अमन चाँदपुरी
8. नित
नूतन हमको मिला, लोगो
से व्यवहार
- रेखा लोढ़ा
9. खड़े
रहे यदि तने तुम, क्या
पाओंगे मान
- देवेन्द्र सिंह
10. बड़े
भाग जिनको मिली, ममता
की सौगात
- डाॅ. राकेश सक्सेना
कार्यक्रम
के समापन अवसर पर विगत वर्षों में संस्था व साहित्य से जुड़े रहे श्री घासी राम
आर्य, श्रीमती
श्यामवती देवी, डाॅ.
के.डी.पाण्डेय, श्री
देवदत्त प्रसून, श्री
केषव भार्गव, श्री
अशोक भट्ट आदि को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम
समाप्ति की घोषणा अध्यक्ष डाॅ. रूपचन्द्र शाास्त्री ‘मयंक’ ने की। इस अवसर पर डाॅ.
सिद्धेश्वर सिंह, श्रीमती
सुरेन्द्र कौर, सतपाल
बत्रा, नरेश
चन्द्र तिवारी, तेज
सिंह शाक्य, श्रीमती
अमर भारती, अमन
अग्रवाल मारवाड़ी, के.सी.जोशी, रत्नाकर पाण्डेय, जुहेर अब्बास, महत, दिनेश पाण्डेय, नितिन शास्त्री, विनीत शास्त्री, श्रीमती कविता, श्रीमती पल्लवी, डाॅ. राज सक्सेना ‘राज’, कैलाश
चन्द्र पाण्डेय, देवदत्त
यादव आदि उपस्थित रहकर कार्यक्रम को सफल बनाया।
|
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सोमवार, 11 अप्रैल 2016
"खटीमा में हुआ राष्ट्रीय दोहाकारों का सम्मान"
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