भारत माँ का कीर्तन-भजन होना चाहिए।
देश की सीमाओँ को बचाने के लिए तो आज,
तन-मन प्राण का हवन होना चाहिए।
शासकों को सीधी चाल चलने की जरूरत है,
तुष्टिकरण नीति का दमन होना चाहिए।
ईंट का जवाब अब देना होगा पत्थरों से,
बैरियों को कब्र में दफन होना चाहिए।
कोठी-बंगलों में ऐश बन्द होनी चाहिए,
सबके लिए मामूली भवन होना चाहिए।
रत्न-भूषण और श्री चाटुकारिता के चिह्न से,
मुक्त अपना प्यारा ये चमन होना चाहिए।
उग्रवादियों को सजा फाँसी की मिले तुरन्त,
अपने प्यारे देश में अमन होना चाहिए।
नेताओं की लाश को न झण्डे लपेटा जाये,
शहीदों का तिरंगा कफन होना चाहिए।
आजादी की जंग में जिन्होंने बलिदान दिया,
उन देशभक्तों का नमन होना चाहिए
जाति-धर्म, भाषा और भूषा की न होड़ लगे,
सबसे पहले अपना वतन होना चाहिए।
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शनिवार, 23 अप्रैल 2016
"सबसे पहले अपना वतन होना चाहिए" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')
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