जीवन पथ पर चलते जाएँ।
आओ अपना धर्म निभाएँ।।
स्वाभिमान को कभी न त्यागें,
लालच के पीछे ना भागें,
जग को उसका कर्म बताएँ।
आओ अपना धर्म निभाएँ।१।
सोच हमेशा रखना व्यापक,
बन कर दिखलाना अध्यापक,
विषयवस्तु सबको समझाएँ।
आओ अपना धर्म निभाएँ।२।
जल में कुटिल पंक फैला है,
गंगा का आँचल मैला है,
फिर से निर्मल धार बनाएँ।
आओ अपना धर्म निभाएँ।३।
कुदरत की लीला अद्भुत है,
जीवन थोड़ा काम बहुत है,
पाप नहीं कुछ पुण्य कमाएँ।
आओ अपना धर्म निभाएँ।४।
राहू, वक्र-चन्द्र खा जाता,
सरल सदा मंजिल को पाता,
कभी विरल मत पथ अपनाएँ।
आओ अपना धर्म निभाएँ।५।
मन भी होगा तन भी होगा,
सुलभ न ऐसा जीवन होगा,
जाने कब मानुष तन पाएँ।
आओ अपना धर्म निभाएँ।६।
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जवाब देंहटाएंसच ईमानदारी से अपना धर्म निभाते रहना चाहिए, ताकि मनुष्य जन्म यूँ ही व्यर्थ न चला जाए ...
बहुत सुन्दर रचना
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26.07.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3344 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
bahut khoob sir..
जवाब देंहटाएंapna dharm agar hum nibha le to sab samsya khatm
जीवन मरण न देखिये ,करते रहिये काम
जवाब देंहटाएंहर मन पर लिखते रहें ,अटल सरीखे नाम