क्षणिक शक्ति को देने वाली। कॉफी की तासीर निराली।। जब तन में आलस जगता हो, नहीं काम में मन लगता हो, थर्मस से उडेलकर कप में, पीना इसकी एक प्याली। कॉफी की तासीर निराली।। पिकनिक में हों या दफ्तर में, बिस्तर में हों या हों घर में, कॉफी की चुस्की ले लेना, जब भी खुद को पाओ खाली। कॉफी की तासीर निराली।। सुख-वैभव के अलग ढंग हैं, काजू और बादाम संग हैं, इस कॉफी के एक दौर से, सौदे होते हैं बलशाली। कॉफी की तासीर निराली।। मन्त्री जी हों या व्यापारी, बड़े-बड़े अफसर सरकारी, सबको कॉफी लगती प्यारी, कुछ पीते हैं बिना दूध की, जो होती है काली-काली। कॉफी की तासीर निराली।। |
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मंगलवार, 28 सितंबर 2021
गीत "कॉफी की चुस्की ले लेना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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कॉफी की गुणवत्ता भी लाजवाब है । अति सुन्दर सृजन.
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत सुंदर सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह बहुत ही सुंदर और प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंकॉफी के हर पहलू पर सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय सर,सादर नमन
जवाब देंहटाएंशानदार
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