विघ्नविनाशक आप हो, सभी गणों के ईश। पूजा करते आपकी, सुर-नर और मुनीश।। -- करता है आराधना, मन से सकल समाज। बिना आपके तो नहीं, होता मंगल काज।। -- दीपों के त्यौहार में, होता दिव्य निवेश। घर में लाते हैं सभी, लक्ष्मी और गणेश।। -- पार्वतीनन्दन प्रभो, शिवजी के हो पूत। नहीं आपकी दृष्टि में, कोई वृन्द अछूत।। -- शुक्ल चतुर्थी से शुरू, चतुर्दशी अवसान। दस दिन रहता देश में, श्रद्धा का उन्वान।। -- सॉँझ-सवेरे आरती, उसके बाद प्रसाद। होता है दरबार में, घण्टा-ध्वनि का नाद।। -- गणनायक भगवान की, महिमा बहुत अनन्त। कृपा आपकी हो अगर, जीवन बने बसन्त।। -- मोदक हैं प्रिय आपको, गणनायक भगवान। बनकर वाहन आपका, मूषक हुआ महान।। |
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गुरुवार, 9 सितंबर 2021
गणेश चतुर्थी पर विशेष "गणनायक भगवान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१०-०९-२०२१) को
'हे गजानन हे विघ्नहरण '(चर्चा अंक-४१८३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
ॐ गणेशाय नमः !
जवाब देंहटाएंवह .... गणपति जी के शानदार दोहे ... मज़ा आ गाय सर ...
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई हो ...
बेहद खूबसूरत दोहे..
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय।
बेहतरीन दोहे ।
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
गजानन महाराज के बहुत सुन्दर दोहे प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंगणेशोत्सव की बहुत-बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति... गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंगणपति को अर्पित सुंदर भाव भरी उत्कृष्ट प्रार्थना ।
जवाब देंहटाएं